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ठीकरा फोड़ने की ममता की राजनीति

ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को एक बार जिस दांव से सफलता मिल चुकी है वे फिर उसी दांव को आजमाने का प्रयास कर रही हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने फिर बांग्ला अस्मिता का दांव चला है और इस बार भी निशाने पर अमित शाह हैं।

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2021 में ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बाहरी बता कर बांग्ला बनाम बाहरी का दांव खेला था। उन्होंने भाषा और धर्म दोनों का इस्तेमाल किया था। ममता बनर्जी ने राम बनाम दुर्गा का नैरेटिव बनाने से भी परहेज नहीं किया था।

ममता बनर्जी की राजनीति में हिंसा और आरोप

इस बार चुनाव से एक साल पहले वक्फ कानून के मामले पर राज्य में हिंसा फैली है। ममता बनर्जी को समझ में आ रहा है कि वक्फ कानून का किसी और लाभ या हानि हो या न हो अगर हिंसा होती रही और विरोध प्रदर्शन चलते रहे तो उनको जरूर नुकसान होगा। मुसलमानों के हिंसक प्रदर्शन और हिंदुओं के पलायन की खबरों से हिंदू ध्रुवीकरण होगा।

तभी उन्होंने इस मामले में अमित शाह को निशाना बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की शह पर सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ ने हिंसा भड़काई। इतना ही नहीं उन्होंने नाम लेकर अमित शाह को निशाना बनाया। ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वे अमित शाह को संभाल लें। इस बात का कोई आधार नहीं था क्योंकि अमित शाह बंगाल में अभी कुछ भी करते नहीं दिख रहे हैं। फिर भी ममता ने मोदी से शाह को संभालने की अपील की। जाहिर वे किसी न किसी तरह से दोनों का नाम लाना चाहती थीं।

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Pic Credit: ANI

By NI Political Desk

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