आमतौर पर भाजपा में बगावत नहीं होती है। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के वैचारिक आधार और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के मजबूत संगठन की डोर से पार्टी बंधी रहती है। तभी भाजपा इतनी बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट काट रही है फिर भी बगावत के सुर नहीं सुनाई दे रहे हैं। देश के अलग अलग राज्यों में एकाध अपवाद हो सकते हैं। लेकिन देश से उलट बिहार में भाजपा के अनेक नेता बागी हो रहे हैं। वे खुल कर भाजपा के खिलाफ बोल रहे हैं और चुनाव लड़ रहे हैं।
जो खुल कर नहीं बोल रहे हैं वे अनौपचारिक बातचीत में कह रहे हैं कि चुनाव में बता देंगे। बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से दो बार सांसद रहे अजय निषाद ने तो पार्टी छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा अहंकार में है और इस बार चुनाव में उसे बताएंगे। गौरतलब है कि उनके पिता कैप्टेन जयनारायण निषाद लंबे समय तक लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रहे हैं और उन्होंने 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली में यज्ञ कराया था। यानी पुराने मोदी समर्थक हैं। फिर भी अजय निषाद की टिकट कट गई।
भाजपा ने मुजफ्फरपुर में उस नेता को टिकट दिया, जिसे पिछली बार अजय निषाद ने चार लाख वोट से हराया था। निषाद के अलावा सासाराम के भाजपा सांसद छेदी पासवान भी बागी हो गए हैं। वे कांग्रेस में शामिल होकर कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि सासाराम लोकसभा स्पीकर रहीं मीरा कुमार का क्षेत्र है और वे छेदी पासवान का विरोध कर रही हैं। पर यह अलग बात है। भाजपा के लिहाज से देखें तो टिकट कटते ही छेदी पासवान बागी हो गए। बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे भी निराश और नाराज हैं।
वे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे लेकिन उनको मनाया गया। वे पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन उनके समर्थक और खास कर ब्राह्मण समर्थक भाजपा से नाराज हैं। शिवहर की सांसद रमा देवी नाराज हैं। उन्होंने कहा कुछ नहीं है लेकिन उनके समर्थकों ने साफ कर दिया है कि वे जदयू उम्मीदवार लवली आनंद की बजाय राजद से संभावित वैश्य उम्मीदवार का साथ देंगे। रमा देवी की वजह से सीतामढ़ी, शिवहर और पूर्वी चंपारण में वैश्य नाराज हुए हैं।