भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अनुशासित पार्टी मानी जाती है। कम्युनिस्ट पार्टियों की तरह भाजपा में भी अनुशासन बहुत अहम माना जाता है। पार्टी के नेता हमेशा शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किए गए नियमों के हिसाब से आचरण करते हैं और कोई भी नेता ऐसा बयान नहीं देता है, जो पार्टी लाइन से हट कर हो या पार्टी को शर्मिंदा करने वाला हो। लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसा दिख रहा है कि अनेक राज्यों में पार्टी का यह अनुशासन टूट रहा है। नेता मनमाने तरीके से बयान दे रहें और उनके बयानों से पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है या पार्टी के अंदर खींचतान होने की खबरें बन रही हैं। इस किस्म की घटनाएं भाजपा के मजबूत संगठन वाले राज्यों में हो रही हैं।
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भाजपा नेताओं का अपनी ही सरकारों के खिलाफ मोर्चा
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद की लोनी सीट के विधायक नंदकिशोर गूजर ने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोला है। वे लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देते हैं और मीडिया में इंटरव्यू दे रहे हैं। जवाब में राज्य की पुलिस उनके पीछो पड़ी रहती है और पिछले दिनों तो उनके धार्मिक आयोजन को रूकवाने पुलिस पहुंच गई थी। हरदोई से भाजपा के विधायक श्याम सुंदर ने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली भेजने की मांग कर दी है। लखीमपुर खीरी के भाजपा विधायक श्याम सुंदर भी बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे ही उत्तराखंड में सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध माइनिंग का मुद्दा उठा कर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। कर्नाटक में पार्टी के वरिष्ठ नेता बासनगौड़ा पाटिल यतनाल ने बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे व प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ मोर्चा खोला था तो उनको छह साल के लिए पार्टी से निकाला गया है। उनके साथ कुछ और नेता भी शामिल थे लेकिन उनको चेतावनी देकर छोड़ा गया है।
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