तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने जो प्रक्रिया शुरू की थी वह संपूर्ण हो गई है। मेघालय कांग्रेस मुक्त हो गया है। मेघालय की 60 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं बचा। एक समय था, जब कांग्रेस का वहां राज था और शासन से बाहर होने के बाद भी कांग्रेस के 15 विधायक थे और वह मुख्य विपक्षी पार्टी थी। लेकिन ममता बनर्जी ने कांग्रेस को खत्म करने की अपनी मुहिम के तहत कांग्रेस ते 15 में से 12 विधाय़कों को तोड़ लिया। नवंबर 2021 में कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकुल संगमा के साथ 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उसी समय ममता ने गोवा से लेकर असम तक के कई कांग्रेस नेताओं को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल किया था।
मुकुल संगमा के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने विन्सेंट पाला को कमान सौंपी। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और 2023 के चुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्ज की। ममता बनर्जी की पार्टी को भी पांच सीटें मिलीं, हालांकि उसको वोट कुछ ज्यादा मिले। लेकिन पांच सीटों पर जीत के बाद भी कांग्रेस के टूटने का सिलसिला जारी रहा। उसके एक विधायक पिछले साल लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बन गए। उनकी खाली की हुई सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस वह सीट हार गई। वह सीट एनपीपी ने जीत ली। उसके बाद एक एक करके तीन विधायक मुख्यमंत्री कोनरेड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए। उसके बाद कांग्रेस के पास सिर्फ एक विधायक बचा था। लेकिन इकलौते बचे हुए विधायक रॉनी लिंगदोह भी अब एनपीपी में शामिल हो गए हैं। लिंगदोह विपक्ष के मुख्य सचेतक भी थे।