यह लाख टके का सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में भाषण क्यों नहीं दिया? पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा का जवाब उन्होंने लोकसभा में दिया था, जहां वे एक घंटा 40 मिनट बोले और देश के लोगों को कांग्रेस का इतिहास पढ़ाया। लेकिन राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब उनकी जगह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया।
विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और सदन में प्रधानमंत्री के आने की मांग की। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली में मौजूद रह कर सदन में नहीं आने को सदन का अपमान बताया और उनके नेतृत्व में सभी विपक्षी पार्टियों ने अमित शाह के भाषण के दौरान सदन से वॉकआउट किया। दूसरी ओर अमित शाह ने कहा कि विपक्ष उन्हीं से नहीं निपट पा रहा है तो प्रधानमंत्री को क्यों बुलाना चाह रहा है।
इससे वे विपक्ष को कमजोर और नीचा दिखाने में तो कामयाब हो गए लेकिन यह विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं था। वह सवाल अब भी कायम है कि जब दिल्ली में थे तो प्रधानमंत्री जवाब देने राज्यसभा में क्यों नहीं गए? क्या इसका कारण यह है कि वे सीजफायर पर दिया गया बयान दोहराना नहीं चाहते थे? वे नहीं चाहते थे कि लगातार दूसरी बार उन्हें यह बात कहनी पड़े और क्या इसका कारण अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी है?
क्या सचमुच भारत के ऊपर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस के साथ कारोबार करने की वजह से जुर्माना लगाने का ट्रंप का फैसला लोकसभा में दिए मोदी के भाषण से जुड़ा है? इस तरह की अटकलें सोशल मीडिया में लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि ट्रंप इस बात से नाराज हैं कि उनको सीजफायर का श्रेय नहीं दिया जा रहा है। यह बात उन्होंने 29 तारीख को एक इंटरव्यू में भी कही। हो सकता है कि ये अटकलें सही नहीं हों लेकिन अब इनको रोका नहीं जा सकता है क्योंकि अब सरकार की कोई भी सफाई काम नहीं आएगी।


