विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की नीतीश कुमार सरकार एक के बाद एक लोक लुभावन घोषणाएं करती जा रही है। ऐसी घोषणाएं हो रही हैं, जिनका पहले नीतीश खुद विरोध करते रहे हैं। उनकी सरकार ने 125 यूनिट बिजली फ्री करने का ऐलान किया है। इसे अगस्त से ही लागू कर दिया जाएगा यानी जुलाई का जो बिल लोगों को मिलेगा, उसमें 125 यूनिट बिजली माफ होगी। माना जा रहा है कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। कुछ दिन पहले एक सौ यूनिट बिजली फ्री करने का प्रस्ताव आया था तो नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया था। उन्होंने विधानसभा में खड़े होकर विपक्षी पार्टियों खास कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर हमला किया था और कहा था कि यह बहुत गैरजिम्मेदाराना राजनीति होगी।
अब उनकी सरकार ने 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी है और प्रचार किया जा रहा है कि यह मुफ्त नहीं है, बल्कि अनुदान है और इसको सोलर एनर्जी से जोड़ा जाएगा। इससे पहले नीतीश सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि चार सौ रुपए महीना से बढ़ा कर 11 सौ रुपए कर दिया। इसके तहत विधवा, दिव्यांगजन और वृद्ध आते हैं, जिनकी आबादी बिहार में एक करोड़ 70 लाख के करीब है। बरसों से इसकी मांग हो रही थी कि चार सौ रुपए का कोई मतलब नहीं होता है। लेकिन नीतीश ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। लेकिन जब प्रशांत किशोर ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ा कर दो हजार रुपए करने और तेजस्वी यादव ने इसे बढ़ा कर डेढ़ हजार रुपए करने का ऐलान किया तो तुरंत नीतीश सरकार ने इसे बढ़ा कर 11 सौ रुपए कर दिया। इसी तरह नीतीश सरकार ने पत्रकारों को मिलने वाली पेंशन की राशि छह से बढ़ा कर 15 हजार कर दिया है। अब खबर है कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य और सफाई के लिए सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाली आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय एक हजार से बढ़ा कर तीन हजार रुपए कर दिया है।
कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने आशा कार्यकर्ताओं का मानदेस बढ़ाने की गारंटी का ऐलान किया था। इस तरह अभी तक नीतीश कुमार की सरकार उनकी तीन घोषणाओं को पूरा कर चुकी है। पहली घोषणा बिजली फ्री करने की, दूसरी सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाने की और तीसरी आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की। क्या इसके बाद तेजस्वी की ओर से घोषित माई बहन मान योजना की तर्ज पर महिलाओं को कुछ नकद रुपए देने की घोषणा हो सकती है? अभी तक राज्य सरकार इससे इनकार कर रही है लेकिन जिस तरह से प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव और कांग्रेस की ओर से अलग अलग सामाजिक समूहों को खुश करने के लिए लोक लुभावन घोषणाएं की जा रही है उसकी वजह से एनडीए सरकार बैकफुट पर है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार कुछ भी सोचने समझने की स्थिति में नहीं हैं और इसलिए मुफ्त की वस्तुओं और सेवाओं की घोषणा हो रही है। यह भाजपा का गेम प्लान है। भाजपा ही सभी राज्यों में इस तरह की योजनाएं लागू करके चुनाव जीतती रही है। नीतीश ने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की। देश के दूसरे राज्यों की तरह अगर बिहार में भी मुफ्त की चीजों और सेवाओं की घोषणा हो रही है तो वह भाजपा की वजह से है।