सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर यूट्यूबर अजय शुक्ला के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला शुरू किया है। आरोप है कि अजय शुक्ला ने अपने यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर सुप्रीम कोर्ट से हाल ही में रिटायर हुईं जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वंय इस पर संज्ञान लिया और सर्वोच्च अदालत की रजिस्टरी को निर्देश दिया है कि वह अवमानना की कार्रवाई शुरू करे। इतना ही नहीं अदालत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निर्देश देकर अजय शुक्ला की वीडियो भी हटवा दी। साथ ही अदालत ने कहा कि संविधान ने अभिव्यक्ति की आजादी दी है लेकिन उसके लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैं और किसी को भी न्यायपालिका का अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा के चार बार के सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर बहुत टिप्पणी की थी। उन्होंने तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर कहा था कि संजीव खन्ना की वजह से देश में गृह युद्ध हो रहे हैं। लेकिन तब अदालत ने भाजपा सांसद के खिलाफ अवमानना का मामला नहीं शुरू किया, बल्कि अदालत के सामने यह मामला आया तो इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि न्यायपालिका ऐसी छुई मुई नहीं है, जो ऐसी टिप्पणियों से बिखर जाएगी। अब सवाल है कि क्या अजय शुक्ला ने इससे भी अपमानजनक टिप्पणी की है और क्या वे भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से बड़े व्यक्ति हैं और क्या उनके यूट्यूब चैनल के करोड़ों सब्सक्राइबर हैं और लाखों लोग उनका वीडियो देखते हैं? हकीकत यह है कि उनके चैनल के कुछ हजार सब्सक्राइबर हैं और बहुत कम लोग उनका वीडियो देखते हैं। फिर भी उनकी बात से अदालत की भावना आहत हो गई और मुकदमा शुरू हो गया लेकिन भाजपा के एक सांसद ने चीफ जस्टिस पर देश में गृह युद्ध कराने का आरोप लगाया तो वह टिप्पणी अवमानना के योग्य नहीं मानी गई!