ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी सिंदूर के राजनीतिक अभियान से पीछे हट गई है। ऑपरेशन सिंदूर का प्रचार चलता रहेगा। नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के एक साल पूरे होने के कार्यक्रमों में भी ऑपरेशन सिंदूर पर फोकस रहेगा। लेकिन सिंदूर बांटने या महिलाओं के सिंदूर की रक्षा के प्रचार की तीव्रता कम होगी। ध्यान रहे पहले खबर आई थी कि भाजपा नौ जून से हर घर सिंदूर पहुंचाएगी। हिंदी के अखबार ‘दैनिक भास्कर’ ने 28 मई के संस्करण में यह खबर छापी थी। उसके तीन दिन के बाद 31 मई को अखबार ने माफीनामा छापा है। अखबार ने कहा है कि भाजपा की ऐसी कोई योजना नहीं है। यह भी बताया गया है कि भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘दैनिक भास्कर’ की खबर को फर्जी बताया है। इससे एक दिन पहले मालवीय ने सोशल मीडिया में अखबार की इस खबर को साझा करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा था और कहा था कि फर्जी खबर के आधार पर ममता बनर्जी बयान दे रही हैं।
अब सवाल है कि अखबार की खबर फर्जी है या इस खबर पर जैसी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली उसके बाद भाजपा इस खबर को फर्जी बता कर अपनी योजना से पीछे हट रही है? यह सवाल इसलिए है कि अगर इतनी बड़ी खबर देश के सबसे ज्यादा छपने वाले अखबार ने छापी तो उसके फर्जी बताने में भाजपा को 48 घंटे से ज्यादा का समय कैसे लग गया? अगर खबर फर्जी थी तो 28 मई की सुबह अखबार में खबर आने के तुरंत बाद भाजपा ने इसका खंडन क्यों नहीं किया और क्यों नहीं 29 मई के संस्करण में इसका खंडन छपा? ध्यान रहे भाजपा कोई ऐसी गाफिल रहने वाली पार्टी नहीं है कि किसी ने उलटा सीधा कुछ छाप दिया और वह कई दिन तक चुप रही। तभी ऐसा लग रहा है कि पहले सिंदूर बंटवाने की योजना रही होगी लेकिन सोशल मीडिय में यह नैरेटिव बन गया कि हर हिंदू महिला अपने पति का सिंदूर ही लगाती है तो कोई दूसरा उसे कैसे सिंदूर दे सकता है। ममता बनर्जी ने भी इसी लाइन पर प्रधानमंत्री को निशाना बनाया। उन्होंने 29 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भाजपा पर हमला किया तो 30 मई को अमित मालवीय ने खबर को फर्जी बताया और 31 मई को अखबार से माफीनामा छपवाया गया। इससे ऐसा लग रहा है कि आम लोगों की प्रतिक्रिया देख कर भाजपा पीछे हटी है।