Judiciary
रिजीजू ने सोमवार को कहा- जजों को एक बार जज बनने के बाद आम चुनाव का सामना नहीं कर पड़ता है। उनकी सार्वजनिक जांच भी नहीं होती है।
केंद्रीय कानून मंत्री नेकॉलेजियम सिस्टम परसवाल उठाया। कहा कुछ लोग खुद को संविधान से ऊपर मानते हैं।
हमारे सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच जजों की नियुक्ति पर जो खींचातानी चल रही थी, वह खुले-आम बाजार में आ गई है।
सवाल है कि सरकार उसकी साख क्यों खराब करना चाहती है? उससे क्या हासिल होगा? उलटे मौजूदा न्यायिक व्यवस्था में हर बड़े मसले पर सरकार को संरक्षण मिल रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आरएसएस तथा भाजपा का देश के मीडिया, नौकरशाही, निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका पर ‘दबाव’ है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति एक कालेजियम द्वारा की जाती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश और तीन अन्य साथी जज होते हैं।
इन दिनों भारत (हिंदुओं) को जानवरों का बाड़ा बनाने के कई प्रयास हैं! सर्वोपरि नंबर एक कोशिश मनुष्य दिमाग को ठूंठ बनाना है।
इजराइल में फिर से प्रधानमंत्री बने बेंजामिन नेतन्याहू सरकार के खिलाफ हजारों लोगों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया है।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग पर टिप्पणी के बाद संविधान से प्रेम करने वाले हर नागरिक को ‘आगे के खतरों’ को लेकर सजग हो जाना चाहिए।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर उच्च न्यायपालिका पर निशाना साधा है।
इस कॉलेजियम सिस्टम की जगह लेने के लिए एनजेएसी का जो ढांचा बना था उसमें इतनी खामियां थीं कि अदालत को उसे खारिज करने में ज्यादा सोचना नहीं पड़ा।
न्यायपालिका और सरकार टकराव के रास्ते पर हैँ। इसके बीच अगर यह धारणा बनी कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सरकार और संकुचित करना चाहती है, तो उससे लोकतंत्र के प्रति जन-आस्था पर फर्क पड़ सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय में आए एक ताजा मामले ने हमारी न्याय-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है लेकिन उसने देश के सारे न्यायालयों को नया रास्ता भी दिखा दिया है।
सर्वोच्च अदालत और उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका दोनों आमने सामने आ गए हैं।
कानून मंत्री किरन रिजुजू ने जजों पर जो टिप्पणी की है, वह बेबुनियाद नहीं है। उन्होंने मुख्य रूप से दो पहलुओं की आलोचना की।