Judiciary

  • न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियां

    अगर मुकदमों का निपटारा समयबद्ध तरीके से नहीं होता है तो नागरिकों के अदालत का दरवाजा खटखटाने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अब भी लोग न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। अकेले अक्टूबर के महीने में देश भर की अदालतों में 16 लाख से ज्यादा मामले पहुंचे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए जजों की बहाली का सुझाव दिया तो उनके सामने ही देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाने...

  • न्यायपालिका में भी सब ठीक नहीं

    एक तरफ न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर टकराव की चर्चा है तो दूसरी ओर न्यायपालिका में भी सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। पिछले एक हफ्ते में कई जजों ने रिटायर होने के दिन या उसके बाद कॉलेजियम को लेकर सवाल उठाया या किसी पूर्व चीफ जस्टिस पर हमला किया या मौजूदा चीफ जस्टिस की तारीफ की। एक जज ने तो रिटायर होने के दिन सेरेमोनियल बेंच में बैठ कर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस पर टिप्पणी की। इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मंगलवार को अपने कार्यकाल के आखिरी...

  • न्यायिक सक्रियता से क्या टकराव बढ़ेगा?

    न्यायपालिका और विधायिका के बीच टकराव का क्या नया दौर शुरू होने जा रहा है? देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में कहा है कि विधायिका चाहे तो नए कानून बना सकती है लेकिन वह अदालत के किसी फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है। यह उनका अपना आकलन नहीं है, बल्कि संवैधानिक स्थिति है, जिसका जिक्र करके उन्होंने स्थिति स्पष्ट की। इस बयान को एक के बाद एक हो रही घटनाओं के साथ मिला कर देखें तो समझ में आता है कि आने वाला समय टकराव का हो सकता है। एक के...

  • गहलोत का न्यायपालिका पर बड़ा हमला

    जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि नीचे से लेकर ऊपर तक न्यायपालिका में भयंकर भ्रष्टाचार है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि कई वकील ऐसे हैं, जो फैसला लिख कर ले जाते हैं और जज उसी तरह का फैसला सुनाते हैं। गहलोत ने कहा कि एक जमाने में उन्होंने भी कई जजों के नाम का सिफारिश की थी लेकिन जज बन जाने के बाद फिर कभी उनसे बात नहीं की।  गौरतलब है कि राजस्थान में दो महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले बुधवार को...

  • क्या है सरकार की मंशा?

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • मणिपुर हिंसा पर टिप्पणी के लिए ब्लॉगर गिरफ्तार

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • सत्ता मद और अहिंसा का संकल्प

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • कानून मंत्री से उलझना नहीं चाहताः चंद्रचूड़

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • कानून मंत्री का न्यायपालिका पर निशाना

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • सिब्बल का रीजीजू पर तंज

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • पूर्व जजों की बातों का सहारा!

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • आर-पार की जंग?

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • न्यायपालिका पर रिजीजू का नया हमला

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • न्यायपालिका पर फिर सरकार का हमला

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • अदालत और सरकार की मुठभेड़

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • न्यायपालिका की साख बिगाड़ कर क्या मिलेगा?

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  • आरएसएस का सभी संस्थाओं पर नियंत्रण

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • अब सुप्रीम कोर्ट को भी चुनाव आयोग की तरह मातहती में लाने की तैयारी…!

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • ताकि हिंदू मूल (मूल ढांचा) गंवा एनिमल फार्म की भेड़-बकरी बने!

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

  • इजराइल में न्यायपालिका के पक्ष में बड़ा प्रदर्शन

    कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती थीं, तब वह भी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था। अब सरकार ने न्यायपालिका के लिए एसओपी तैयार किया है, तो इस पर भी वही बात लागू होती है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती। दरअसल, ऐसा करने की कोई व्यवस्था संविधान के तहत नहीं है। कमजोर सरकारों के दौर में जब अदालतें कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में जाकर आदेश देती नजर आती...

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