देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली यूनिवर्सिटी में कोई न कोई विवाद चलता ही रहता है। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी की लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल ने गर्मी से बचने के लिए अपने कमरे में गोबर का लेप किया। इस पर खूब विवाद हुआ और बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रौनक खत्री खूब सारा गोबर लेकर वहां पहुंच गए थे।
अब नया विवाद यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को अमेरिका जाकर वहां भाषण देने से रोकना का है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा को यूनिवर्सिटी ने अमेरिका जाने की इजाजत नहीं दी है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी का विवाद: अपूर्वानंद का मुद्दा
असल में यूनिवर्सिटी ने उनकी अमेरिका यात्रा की मंजूरी देने से पहले यह शर्त रखी कि वे लिख कर दें कि वहां वे क्या बोलने वाले हैं। सोचें, अपूर्वानंद को न्यूयॉर्क एक स्कूल में बोलना था। लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी को पहले से यह जानना है कि वे वहां क्या बोलेंगे? सवाल है कि यूनिवर्सिटी को एडवांस में यह क्यों जानना है?
अगर वे वहां कुछ असंसदीय या देश की एकता व अखंडता को खतरे में डालने वाली बात कहेंगे तो यूनिवर्सिटी उन पर कार्रवाई कर सकती है और सरकार भी कार्रवाई कर सकती है। इसके लिए पहले से सेंसरशिप लगाने की जरुरत नहीं है। लेकिन पहले तो यूनिवर्सिटी ने उनके आवेदन को एक महीने तक लटकाए रखा और फिर उसे खारिज कर दिया।
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