लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साध रहे हैं। खुल कर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा रहे हैं। वे दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा और चुनाव आयोग में मैच फिक्स था और मैच फिक्सिंग से भाजपा जीती है। यह आरोप उन्होंने अपने नाम से देश भर के अखबारों में लेख लिख कर लगाया है। उन्होंने लेख लिखा तो चुनाव आयोग की ओर से भी गैर आधिकारिक तरीके से जवाब दिया गया। उस समय चुनाव आयोग ने कहा था कि अगर राहुल गांधी आधिकारिक रूप से उसको चिट्ठी लिखेंगे तो आधिकारिक रूप से मिलने का समय मांगेंगे तो आयोग उनको समय देगा और उनके सभी सवालों का जवाब देगा। यह बात सात जून की है। सात जून को ही राहुल गांधी का लेख अनेक भाषाओं में देश भर के अखबारों में छपा था।
यह लेख लिख कर और चुनाव आयोग पर बहुत गंभीर आरोप लगा कर राहुल गांधी कहीं छुट्टी मनाने चले गए। उनके लेख लिखने के पांच दिन के बाद यानी 12 जून को चुनाव आयोग ने मेल के जरिए उनको न्योता भेजा और उसकी कॉपी उनके सरकारी आवास पर भेजी गई। आयोग ने उनको मिलने के लिए बुलाया और कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर जो आरोप लगाए हैं उन पर चर्चा करनी है। राहुल गांधी तो विदेश में थे और हो सकता है कि उनकी पार्टी के लोगों को भी पता नहीं हो कि वे कहां है या तो इस वजह से या जान बूझकर कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग की 12 जून की चिट्ठी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। अगर चुनाव आयोग की ओर से 24 जून को समाचार एजेंसी एएनआई को खबर नहीं लीक की जाती तो पता नहीं कब तक लोगों को पता नहीं चलता कि आयोग ने राहुल को बुलाया है। कांग्रेस तो चिट्ठी दबा कर बैठी थी। जब मीडिया में खबर आ गई कि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को मिलने को बुलाया है और 12 जून को चिट्ठी लिखी है तब कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि वह विस्तार से चिट्ठी का जवाब देगी। मंगलवार, 24 जून को कहा गया कि एक दो दिन में विस्तार से जवाब दिया जाएगा।
इसका मतलब है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग से मिलने नहीं जाएंगे। वैसे भी अभी फिर वे विदेश चले गए। किसी अज्ञात जगह पर छुट्टी मना कर लौटने के बाद वे फिर छुट्टी मनाने या परिवार से जुड़े किसी कार्यक्रम में शामिल होने विदेश चले गए हैं। वहां से लौट कर आने के बाद वे चुनाव आयोग से मिल सकते थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनाव आय़ोग से मिलना उनके स्तर से गिरा हुआ काम है। इसके लिए उन्होंने अभिषेक सिंघवी, विवेक तन्खा जैसे बड़े वकीलों और पार्टी के अन्य नेताओं को रखा हुआ है। राहुल गांधी का काम सिर्फ आरोप लगाना है। अगर एजेंसी आरोपों को जवाब देना चाहती है तो वह सुनना उनका काम नहीं है। अगर उनको पास महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग के इतने पुख्ता सबूत हैं तो वो सबूत लेकर चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए। उनको इस बात के लिए जोर डालना चाहिए कि चुनाव आयुक्तों के साथ उनकी मीटिंग की रिकॉर्डिंग हो। ताकि देश के लोग जान सकें वे जो आरोप लगा रहे हैं उन पर आय़ोग का क्या जवाब है। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग के सामने जाएंगे। इससे यह साफ जाहिर होता है कि वे इस अध्याय का पटाक्षेप नहीं चाहते हैं। उनकी पार्टी इस मामले को जिंदा रखना चाहती है ताकि आगे के नतीजों को सुविधा को हिसाब से संदिग्ध बनाया जा सके।


