nayaindia Lok Sabha election 2024 कांग्रेसी दिग्गजों कें चुनाव न लड़ने के बहाने

कांग्रेसी दिग्गजों कें चुनाव न लड़ने के बहाने

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस:
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कांग्रेस की समस्या सिर्फ इतनी नहीं है कि उसके दिग्गज और प्रदेशों के कद्दावर नेता लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। उसकी समस्या यह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई मजबूत नेताओं को महासचिव और प्रभारी बनाया हुआ है। वे नेता भी कैसे चुनाव लड़ेंगे। एक समस्या यह भी है कि राज्यसभा के सांसद, जो महासचिव या प्रभारी हैं उनको चुनाव लड़ाने में समस्या यह आ रही है कि अगर वे जीत गए तो राज्यसभा की सीट गंवानी पड़ेगी।

गौरतलब है कि पिछले दो चुनावों से कई नेताओं को छत्तीसगढ़ और राजस्थान से राज्यसभा में भेजा गया था, जहां कांग्रेस ने सरकार गंवा दी है। हालांकि राज्यसभा के मामले में कांग्रेस समझौता करने को तैयार है। उसे लग रहा है कि लोकसभा की सीट के लिए राज्यसभा की सीट कुर्बान की जा सकती है। फिर भी महासचिवों के मामले में व्यावहारिक समस्या आ रही है।

यही कारण है कि राजस्थान में सचिन पायलट के चुनाव नहीं लड़ने की खबर आ रही है। पहले कहा जा रहा था कि वे चुनाव लड़ेंगे। लेकिन महासचिव बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं, जहां का चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत अहम है। ऊपर से कांग्रेस ने प्रदेश के सबसे बड़े नेता भूपेश बघेल को राजनांदगाव सीट से उम्मीदवार बना दिया है। ऐसे में सचिन पायलट अगर राजस्थान में खुद चुनाव लड़ने लगे तो छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभावित होगा। इसी तरह का मामला जितेंद्र सिंह का है।

उनको भी राजस्थान से चुनाव लड़ना है लेकिन वे असम और मध्य प्रदेश के प्रभारी हैं। दीपा दासमुंशी को तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया है, जबकि उनको पश्चिम बंगाल से चुनाव भी लड़ना है। ऐसी ही स्थिति कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की भी है। दोनों हरियाणा के बड़े नेता हैं और दोनों को चुनाव लड़ने को कहा गया है। लेकिन शैलजा उत्तराखंड की तो सुरजेवाला कर्नाटक के प्रभारी हैं। कर्नाटक और तेलंगाना में तो कांग्रेस की सरकार है और मजबूत नेता हैं तो वे अपना चुनाव संभाल लेंगे लेकिन जिन राज्यों में प्रदेश नेतृत्व उतना मजबूत नहीं है वहां तो प्रभारियों की भूमिका बड़ी है।

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