विपक्षी पार्टियों से सीट शेयरिंग की बातचीत और टिकट बंटवारे में हो रही देरी के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अभी बहुत समय है। बातचीत झारखंड के संदर्भ में थी तो उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव चौथे चरण यानी 13 मई से शुरू होने हैं इसलिए कोई हड़बड़ी नहीं है।
सोचें, क्या यह बात भाजपा के नेता नहीं जानते हैं या ममता बनर्जी को या आम आदमी पार्टी आदि को यह बात नहीं पता है? फिर उन्होंने क्यों अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए? भाजपा चार सौ से ज्यादा उम्मीदवार घोषित कर चुकी है और कांग्रेस की गाड़ी 11 सूची जारी होने के बाद 231 पर अटकी है।
कांग्रेस अपने पुराने मोड में लौट गई दिखती है, जब आखिरी समय तक टिकट तय होते थे। कई राज्यों में अहम सीटों पर भी पार्टी ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली से कौन लड़ेगा, प्रियंका और राहुल लड़ेंगे या नहीं यह तय नहीं है। राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से नामांकन दाखिल कर दिया लेकिन अमेठी, रायबरेली का मामला अटका है।
इसी तरह आप से समझौता होने के बाद उसने दिल्ली की अपने कोटे की चार और हरियाणा की एक सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांग्रेस को दिल्ली में तीन सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने हैं, जिसके लिए एक महीने से बैठकें हो रही हैं। यही स्थिति झारखंड से लेकर बिहार और महाराष्ट्र तक है। हालांकि कांग्रेस के एक नेता ने इसका कारण बताते हुए यह भी कहा कि भाजपा की टिकट कटने से जो नेता नाराज हुए हैं वे अब कांग्रेस में आ रहे हैं। इसका मतलब है कि देरी करने का एक फायदा हुआ है। अब पता नहीं यह फायदा है या नुकसान!