लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली सूची बहुत छोटी है और बहुत सोच समझ कर तैयार की गई है। कांग्रेस के जानकार नेताओं के कहना है कि पार्टी ने अतिरिक्त सावधानी बरती है क्योंकि भाजपा का भर्ती मेला अभी तक लगा हुआ है। वह विपक्षी पार्टियों के नेताओं को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल कराने और उन्हें टिकट देने का अभियान जारी रखे हुए है। तभी कांग्रेस ने अतिरिक्त सावधानी बरती और सिर्फ ऐसे ही लोगों के नाम जारी किए, जिनके टूटने की संभावना नहीं है।
असल में कांग्रेस को यह चिंता लगी हुई है कि कहीं ऐसा न हो कि वह उम्मीदवार घोषित कर दे और उसके बाद उसका प्रत्याशी भाजपा के साथ चला जाए। इससे चुनाव का माहौल बिगड़ेगा। कांग्रेस को यह चिंता इसलिए भी है क्योंकि अलग अलग कारणों से भाजपा को अपने दो उम्मीदवार हटाने पड़े हैं। पहले पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से घोषित भोजपुरी गायक पवन सिंह ने लड़ने से इनकार किया और उसके बाद उत्तर प्रदेश की बाराबंकी सीट से सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने भी नाम वापस ले लिया। इन दोनों का नाम भाजपा की पहली सूची में था।
कांग्रेस को लग रहा है कि भाजपा ऐसा खेला कर सकती है कि उसके घोषित उम्मीदवार को भी तोड़े। इसलिए उसने प्रतीकात्मक रूप से 39 नामों की पहली सूची जारी कर दी। अब वह जल्दी ही दूसरी सूची नहीं जारी करने वाली है। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि अगली सूची अब चुनाव की घोषणा के बाद ही आएगी और वह भी इस हिसाब से आएगी कि जहां जिस चरण में चुनाव होना होगा उसके उम्मीदवार का नाम जारी होगा। कांग्रेस की यह रणनीति पहली सूची के लिए चुने गए राज्यों और नामों में भी दिख रही है। पार्टी ने उन राज्यों में उम्मीदवार घोषित किए, जहां वह सबसे ज्यादा आत्मविश्वास में है और उसके नेता भी मान रहे हैं कि उनके लिए कांग्रेस बेहतर विकल्प है।
कांग्रेस ने पहले छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना के उम्मीदवार घोषित किए और इन राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों की घोषणा की। छत्तीसगढ़ में भी सभी सीट नहीं घोषित हुए। कहा जा रहा था कि पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के नाम की घोषणा होगी, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। इसी तरह यह भी कहा जा रहा था कि कांग्रेस पहली सूची में मौजूदा सांसदों के नाम की घोषणा कर देगी। लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। ऐसा होता तो मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट से कांग्रेस सांसद नकुल नाथ की घोषणा होती।
लेकिन कांग्रेस ने उनका नाम घोषित नहीं किया। बताया जा रहा है कि छह मार्च को राहुल के कार्यक्रम में छिंदवाड़ा का एक भी विधायक शामिल नहीं हुआ और खुद कमलनाथ भी दिल्ली पहुंच गए। उन्होंने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक का कारण बताया लेकिन वह बैठक सात मार्च को हुई। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कांग्रेस ने गठबंधन तय होने के बावजूद उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस भाजपा को अपना उम्मीदवार तोड़ने का मौका नहीं देना चाहती है।