राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी के सारे बड़े नेता चुनाव लड़ें। इसके लिए सभी दिग्गज नेताओं को कहा भी गया था। सबको अपनी पसंद से सीट चुनने के लिए भी कहा गया था। लेकिन हैरानी की बात है कि इक्का दुक्का दिग्गज नेताओं को छोड़ कर सबने हाथ खड़े कर दिए हैं। कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक गुजरात में अपनी यात्रा रोक कर एक दिन के लिए दिल्ली आए राहुल गांधी ने इस मसले पर पार्टी नेताओं से चर्चा की और उसके एक दिन बाद सोमवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी यह मुद्दा उठा। अलग अलग प्रदेशों के बड़े नेताओं के बारे में चर्चा हुई। कुछ नेताओं को तो दो में से कोई सीट चुनने का प्रस्ताव दिया गया लेकिन नेताओं ने मना कर दिया। राहुल गांधी की टीम का मानना है कि इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम मतदाताओं के बीच भी अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
कहा जा रहा है कि तमाम बड़े नेता अपने बच्चों के चुनाव लड़ाना चाहते हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की चिंता यह है कि दिग्गज नेता चुनाव नहीं लड़े तो पार्टी कमजोर दिखाई देगी और दूसरे चुनाव के बाद जब भी मौका मिलेगा तो ये बड़े नेता राज्यसभा सीट की मांग करेंगे। तभी राहुल सबको चुनाव में उतार कर सबकी हैसियत का अंदाजा लगाना चाहते थे। बहरहाल, पहले कहा जा रहा था कि राजस्थान में अशोक गहलोत चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब साफ हो गया है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके बेटे वैभव गहलोत एक नई सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं। पिछली बार वे जोधपुर सीट से लड़े थे, जहां गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे। इस बार वे जालौर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
इसी तरह मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उनकी पारंपरिक सीट पर लगातार दूसरी बार उनके बेटे नकुल नाथ ही लड़ेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पिछली बार भोपाल सीट पर भाजपा की प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ लड़े थे लेकिन इस बार वे भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी चुनाव लड़ाना चाहती था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और अपने बेटे को आगे कर दिया। सो, पार्टी को उनकी बजाय उनके बेटे को लड़ाने की मजबूरी हो गई। उत्तराखंड में ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को भी लड़ने का प्रस्ताव दिया था गया था लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। पिछली बार वे सोनीपत से और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से चुनाव लड़े थे। दोनों चुनाव हार गए थे। इस बार भूपेंद्र हुड्डा चाहते हैं कि सिर्फ उनके बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ही चुनाव लड़ें। परिवार से दो लोगों के लड़ने के पक्ष में वे नहीं बताए जा रहे हैं। राहुल गांधी ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को केरल की अलपुझा सीट से उम्मीदवार बनवा कर सभी बड़े नेताओं को एक मैसेज दिया था लेकिन ज्यादातर नेता लड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं।