प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद लोकसभा चुनाव प्रचार में जिस एक नेता की सबसे ज्यादा मांग है वह नेता हैं हिमंत बिस्वा सरमा। उत्तर भारत के हर राज्य में, हर उम्मीदवार चाहता है कि वे उसके यहां प्रचार करें। झारखंड की आदिवासी आरक्षित सीटों पर भी उनको प्रचार के लिए बुलाया गया और बिहार की सीटों पर भी वे प्रचार कर रहे हैं। दिल्ली में भी उन्होंने चुनाव प्रचार किया। यह पिछले पांच साल का विकास है, जो असम से बाहर उनकी इतनी पूछ हो गई है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने राज्य में जिस तरह के काम किए और हिंदू, मुस्लिम का जैसा नैरेटिव बनाया उससे उनकी पूछ बढ़ी।
वे किसी भी राज्य में जाकर हिंदू, मुस्लिम का मुद्दा बनाने में माहिर हैं। असम में उनकी जैसी छवि बनी है उससे लोग उनको सुनने आते हैं और यकीन भी करते हैं। उन्होंने अपने राज्य में मदरसों की गिनती, उनको नियमित करने, बहुविवाह रोकने जैसे मुद्दों पर खूब प्रचार किया है। यही प्रचार वे उत्तर भारत के राज्यों में भी कर रहे हैं। उन्होंने झारखंड में दावा किया कि बहुत सारे बांग्लादेशी घुसपैठिए राज्य में घुस गए हैं और भाजपा की सरकार बनी तो सबको बाहर निकाला जाएगा। वे समान नागरिक संहिता लागू करने और जनसंख्या बढ़ने से रोकने के मुद्दे जोर शोर से उठाते हैं। इन मुद्दों पर उनकी ऐसी महारत हो गई है कि बिहार में गिरिराज सिंह से ज्यादा उनकी मांग हो रही है।