nayaindia भारत में बढ़ते सोशल मीडिया प्रभाव: नेताओं की गलतियों का नुकसान

पार्टियों की सोशल मीडिया टीम की गलतियां

सोशल मीडिया

भारत में दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं और सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी है। इसलिए सभी पार्टियों और नेताओं के लिए जरूरी हो गया है कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें। भारतीय जनता पार्टी इस मामले में सबसे आगे है।

कुछ समय पहले तो पार्टी ने कई चुनावों में उम्मीदवार तय करने में यह पैमाना रखा कि सोशल मीडिया में उसके कितने फॉलोवर हैं। वह कितने पोस्ट लिखता है, कितने लोग लाइक करते हैं, प्रधानमंत्री और दूसरे बड़े नेताओं की कितनी पोस्ट वह शेयर करता है आदि। तभी ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों से भी चुनाव लड़ने वाले नेता सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं।

परंतु मुश्किल यह है कि ज्यादातर नेताओं और यहां तक कि बड़ी पार्टियों के पास भी ऐसे लोगों की कमी है, जो सोशल मीडिया हैंडल संचालित करने, उसकी लोकप्रियता बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा पहुंचने की तकनीकी दक्षता के साथ साथ राजनीति के बारे में भी जानते हों। जो राजनीति जानते हैं उनको सोशल मीडिया की तकनीक का पता नहीं है और जो तकनीक जानते हैं उनको राजनीति की समझ नहीं है।

ज्यादातर नेताओं और यहां तक की पार्टियों के सोशल मीडिया हैंडल भी ऐसे पेशेवर लोगों के हाथ में है, जिनको राजनीति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। तभी नेताओं और पार्टियों के सोशल मीडिया हैंडल से ऐसी ऐसी गलतियां हो रही हैं, जिनके लिए डैमेज कंट्रोल का अभियान चलाना पड़ रहा है और फिर भी नुकसान की भरपाई नहीं हो पा रही है।

ऐसे दो मामले हाल के दिनों में सामने आए हैं। एक मामला कांग्रेस की नेता और सोशल मीडिया की प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत का है और दूसरा बिहार भाजपा का है। पिछले दिनों बिहार के एक बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला के राजद में शामिल होने और वैशाली से उनके या उनकी पत्नी के चुनाव लड़ने की चर्चा हुई तो बिहार भाजपा ने सोशल मीडिया में एक पोस्टर बना कर जारी कर दिया, जिसमें लिखा हुआ था राजद को गुंडे पसंद हैं और यह भी लिखा हुआ था कि मुन्ना शुक्ला कलेक्टर रहे जी कृष्णैया की हत्या के आरोपी हैं।

हालांकि जल्दी ही इस पोस्टर से डिलीट कर दिया गया लेकिन इससे पार्टी को बड़ा नुकसान हो गया। मुन्ना शुक्ला पहले भाजपा की जदयू में रहे हैं और विधायक भी रहे हैं। वे लंबे समय तक एनडीए में रहे थे। दूसरे, कृष्णैया हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला बरी हो चुके हैं, जबकि उसी केस में सजा पाए आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद इस बार एनडीए में हैं और जदयू की टिकट से चुनाव लड़ रही हैं।

बिहार भाजपा के पोस्टर से मुन्ना शुक्ला की जाति के लोग अलग नाराज हुए, जिससे भाजपा को वैशाली और मुजफ्फरपुर की दो लोकसभा सीटों पर नुकसान हो सकता है। पार्टी के नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोशल मीडिया संभाल रहे पेशेवर को बिहार के राजनीतिक इतिहास और गणित दोनों की जानकारी नहीं थी।

इसी तरह सुप्रिया श्रीनेत के एक्स हैंडल से कंगना रनौत को लेकर एक बेहद आपत्तिजनक तस्वीर और कैप्शन जारी हो गया था। उन्होंने तुरंत इसे हटवाए और सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनके सोशल मीडिया की एक्सेस कई लोगों के पास है, जिनमें से किसी ने इसे पोस्ट कर दिया था। चुनाव आयोग ने भी इसके लिए उनकी आलोचना की है।

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