भारतीय जनता पार्टी इस बार लोकसभा की ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सहयोगी पार्टियों के साथ उसका समझौता रहेगा लेकिन वह उनके लिए ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं छोड़ेगी। असल में इस बार भाजपा ने पहले से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। बताया जा रहा है कि भाजपा की आंतरिक बैठकों में इस बात पर चर्चा हुई है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहले चुनाव में 284 और दूसरे में 303 सीटें जीती थीं। कहा जा रहा है कि इस बार 303 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य है। यह तभी होगा, जब पहले से ज्यादा सीटें लड़ेगी। इसके लिए एक एक सीट का हिसाब लगाया जा रहा है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार सहयोगी पार्टियों से भी सीटें छुड़ा रही है। उनको विधानसभा में ज्यादा सीट देने का वादा कर रही है। तालमेल खत्म कर रही है या ऐसे हालात बना रही है कि राज्यों की सहयोगियों को अलग चुनाव लड़ना पड़े। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झारखंड में अपनी सहयोगी आजसू को एक सीट दी थी, जिस पर उसका सांसद जीता था। लेकिन इस बार भाजपा राज्य की सभी 14 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है। इसी तरह राजस्थान की एक सीट पिछली बार भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ी थी। लेकिन इस बार वे पहले ही अलग हो गए हैं। सो, राज्य की सभी 25 सीटों पर भाजपा अकेले लड़ेगी।
हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला एक या दो लोकसभा सीट मिलने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन भाजपा ने पहले ही उनसे किनारा करना शुरू कर दिया है। ऐसे हालात बन गए हैं कि दुष्यंत चौटाला को अलग लड़ना होगा। गैर जाट राजनीति की पोजिशनिंग के कारण भाजपा ने ऐसी स्थिति बनाई है। अब चौटाला की पार्टी के नेता दुष्यंत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे हैं। इसका मतलब है कि उनकी पार्टी विधानसभा का चुनाव भी अलग लड़ेगी।
बिहार में चार छोटी पार्टियों से भाजपा का तालमेल है। लेकिन भाजपा उनके लिए नौ-दस सीटों से ज्यादा छोड़ने को तैयार नहीं है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के छह सांसद हैं। एक के नेता पशुपति पारस हैं तो दूसरे के चिराग पासवान। भाजपा दोनों को मिला कर छह सीट दे दे तो बड़ी बात होगी। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के लिए भाजपा एक-एक सीट का प्रस्ताव दे रही है तो दो सीटें मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के लिए रखी है। अगर वे नहीं आते है तो कुशवाहा को एक अतिरिक्त सीट मिल सकती है। अगर नीतीश कुमार की पार्टी से तालमेल होता है तो भाजपा उनको इस बार 10 से ज्यादा सीट नहीं देगी। उधर महाराष्ट्र में भाजपा पिछली बार 25 सीटों पर लड़ी थी और इस बार 30 पर लड़ना चाहती है।