nayaindia Loksabha election 2024 ज्यादा सीटें लेकर क्या करेगी कांग्रेस

ज्यादा सीटें लेकर क्या करेगी कांग्रेस

कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के नेता उत्तर प्रदेश में जबरदस्ती समाजवादी पार्टी पर दबाव बनाए हुए हैं। सपा ने कांग्रेस को पहले 11 सीटें दी थीं और अब 17 सीटें देने का प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस को यह प्रस्ताव स्वीकार करना चाहिए और साथ मिल कर चुनाव की तैयारियों में लगना चाहिए। कांग्रेस के ज्यादा दबाव देने की जरुरत नहीं है क्योंकि उसके पास इतनी सीटों के लिए अच्छे उम्मीदवार भी नहीं हैं। कांग्रेस को अपने वोट आधार का भी ख्याल रखना चाहिए। पिछली बार विधानसभा में उसने कई छोटी पार्टियां का गठबंधन बनाय था तब भी उसे ढाई फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस को पता है कि चुनाव स्पष्ट रूप से आमने-सामने का होने वाला है। बहुजन समाज पार्टी के लड़ने के बावजूद कोई त्रिकोणात्मक चुनाव नहीं होने जा रहा है।

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जब चुनाव भाजपा बनाम समाजवादी पार्टी होगा तो उसमें कांग्रेस अगर सीटों की संख्या के आधार पर अलग रहती है और गठबंधन नहीं करती है तो उसकी दशा विधानसभा चुनाव जैसी हो होगी। हो सकता है कि अमेठी और रायबरेली जैसी कुछ सीटों के दम पर उसका वोट प्रतिशत थोड़ा बढ़ जाए लेकिन वह कोई चमत्कार नहीं कर सकती है। उलटे भाजपा के लड़ने की उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठेगा और पूरे देश में धारणा प्रभावित होगी। तभी कांग्रेस को 17 या 20 लोकसभा सीट की चिंता छोड़ देनी चाहिए। उसे अपने लिए मजबूत सीटों की मांग करनी चाहिए, भले उनकी संख्या 11 या 15 हो। कांग्रेस अभी 2009 के सिंड्रोम से निकल नहीं रही है, जब उसे 22 सीटें मिल गई थीं। लेकिन तब चुनाव जीते जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे लोग भाजपा में चले गए हैं। प्रवीण ऐरन सपा में चले गए हैं और दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की बेटी को भी सपा ने टिकट दिया है। सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे ही कई लोग इधर उधर हो गए या उम्रदराज हो गए। अब कांग्रेस के पास गिनी चुनी सीटों पर अच्छे उम्मीदवार हैं। इसलिए संख्या की बजाय मजबूत सीट देख कर कांग्रेस को लड़ना चाहिए।

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