भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में नेताओं की वापसी की होड़ मची है। सारे पुराने सहयोगी वापस लौटना चाह रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के समय बने एनडीए के लगभग सभी सहयोगी वापसी करने वाले हैं। कई सहयोगी पार्टियों की वापसी हो गई है और बाकी लोगों से बातचीत चल रही है। हालांकि कुछ पूर्व सहयोगी ऐसे हैं, जिन्होंने अपने अपने राज्य में मुस्लिम, ईसाई आदि वोट का एक मजबूत आधार बना लिया है और भाजपा से सीधी टक्कर ले रहे हैं, ऐसे सहयोगी वापसी नहीं करेंगे। जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, तमिलनाडु में डीएमके, जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं से बातचीत की खबर कुछ दिन पहले आई थी लेकिन जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर जैसी स्थिति है उसमें चुनाव से पहले नेशनल कांफ्रेंस का भाजपा के साथ जाना संभव नहीं है।
बहरहाल, जो पुराने सहयोगी वापस आ गए हैं उनमें बिहार में नीतीश कुमार मुख्य हैं। उनकी पार्टी जनता दल यू का बहुत पुराना गठबंधन भाजपा के साथ रहा है। जब नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडीज के साथ समता पार्टी बनाई थी तभी से तालमेल रहा है। सो, जब वे विपक्षी गठबंधन बना रहे थे तब भी कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के नेताओं को उन पर संदेह था। दूसरी विपक्षी पार्टी एचडी देवगौड़ा की जेडीएस है, जिसकी एनडीए में वापसी हो गई है। कर्नाटक में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद जेडीएस को अपना भविष्य खतरे में दिख रहा था। इसलिए देवगौड़ा ने वापस भाजपा से तालमेल कर लिया। तीसरी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल है, जिसकी एनडीए में वापसी हुई है। एक दशक से ज्यादा समय तक भाजपा विरोध की राजनीति करने और चुनाव हारने के बाद अब जयंत चौधरी अपने पिता की बनाई पार्टी को वापस एनडीए में ले गए हैं।
अब बाकी बची हुई पार्टियों की बारी है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू एनडीए में रहे हैं। वे एनडीए के संयोजक भी रहे हैं और अब फिर उनकी वापसी होने वाली है। पिछले चुनाव में वे तेलंगाना में कांग्रेस के साथ मिल कर लड़े थे। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि फिल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी जन कल्याण सेना और टीडीपी का तालमेल भाजपा से हो रहा है। हालांकि नायडू से मुलाकात के बाद वाईएसआर कांग्रेस के नेता और आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसलिए आंध्र की तस्वीर थोड़ी उलझी हुई है।
इस बीच दो और सहयोगी पार्टियों- बीजू जनता दल और अकाली दल से भी भाजपा की बातचीत हो रही है। ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने दोनों पार्टियों की नजदीकी और पटनायक की नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती के संबंधों का हवाला दिया है। पिछले हफ्ते ओडिशा की यात्रा में मोदी ने भी पटनायक को दोस्त बताया था। उधर पंजाब में अकाली दल के साथ बातचीत की पुष्टि तो खुद अमित शाह ने कर दी है। पहले खबर आई थी कि अकाली दल की राष्ट्रीय कमेटी ने सुखबीर बादल को भाजपा से बातचीत के लिए अधिकृत किया है। इसके बाद सवाल है कि क्या शिव सेना की बारी होगी? क्या उद्धव ठाकरे से भी भाजपा की बातचीत हो सकती है? पिछले दिनों उद्धव ने कहा था कि वे नरेंद्र मोदी के दुश्मन नहीं हैं।