आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों के नेता दावा कर रहे हैं कि उनके बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है। एक दिन की बैठक के बाद ही समझौता हो जाने का दावा किया जाने लगा। जानकार सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस को तीन और पंजाब में छह सीटों का प्रस्ताव दिया गया है लेकिन इसमें एक एक सीट बढ़ सकती है। यानी कांग्रेस दिल्ली की सात में से चार सीटों पर और पंजाब की 13 में से सात सीटों पर लड़ सकती है। ध्यान रहे अभी दिल्ली में कांग्रेस का कोई सांसद या विधायक नहीं है, जबकि पंजाब में उसके सात सांसद हैं और वह मुख्य विपक्षी पार्टी है। अगर दोनों मिल कर लड़ते हैं तो यह भी बहुत दिलचस्प होगा कि सत्तारूढ़ और मुख्य विपक्षी मिल कर चुनाव लड़ेंगे।
बहरहाल, दिल्ली और पंजाब के बाहर दूसरे राज्यों में भी आम आदमी पार्टी ने सीटों का दावा कर दिया है। इसलिए सीट समझौता बहुत आसान नहीं दिख रहा है। आम आदमी पार्टी ने गोवा, गुजरात और हरियाणा में सीटों का दावा किया है। ध्यान रहे गोवा और गुजरात में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का बड़ा नुकसान किया था। गुजरात में तो आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट हासिल किया, जिसकी वजह से कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी बनने लायक भी सीट नहीं हासिल कर सकी। वहां अरविंद केजरीवाल ने भरूच सीट पर उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। दूसरी ओर गोवा में लोकसभा की सिर्फ दो सीटें हैं, जहां आम आदमी पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर जीती है। हरियाणा अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है और वे वहां पार्टी का पैर जमाने की कोशिश में हैं। कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि अगर उन्होंने तालमेल करके केजरीवाल को जगह दी तो हर राज्य में दिल्ली जैसी स्थिति हो सकती है। तभी कांग्रेस दिल्ली व पंजाब के बाहर सीट देने में हिचक रही है।