नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद बिहार की 40 सीटों का बंटवारा उलझ गया है। पिछली बार दोनों पार्टियां 17-17 सीटों पर लड़ी थीं और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को छह लोकसभा सीट और एक राज्यसभा सीट दी गई थी। इस बार लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है तो जनता दल यू के साथ छोड़ने के बाद भाजपा ने दो और सहयोगी पार्टियों को जोड़ा है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा भी एनडीए में हैं। इसके अलावा यह भी चर्चा है कि विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी से भी भाजपा के नेता संपर्क में हैं। सो, छोटी छोटी कई पार्टियों के साथ आने की वजह से सीट बंटवारा मुश्किल हो गया है। भाजपा किसी छोटी सहयोगी को छोड़ना भी नहीं चाह रही है क्योंकि नीतीश कुमार को लेकर अब भी पार्टी नेताओं का भरोसा नहीं बन रहा है।
बिहार में दो फॉर्मूलों की चर्चा है। पहले फॉर्मूले के मुताबिक भाजपा और जदयू में 18-18 सीटें बंटेंगी और चार सीटें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को मिलेंगी। इसके बाद अपने अपने कोटे वाली सीटों में नीतीश कुमार को उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को एडजस्ट करेंगे, जबकि भाजपा पशुपति पारस को एडजस्ट करेगी। इस फॉर्मूले में मुकेश सहनी के लिए जगह नहीं है। दूसरा फॉर्मूला यह है कि जदयू को 12 सीटें मिलेंगी और भाजपा 28 सीट लेगी, जिसमें से 20 सीटों पर वह खुद लड़ेगी और आठ सीटें सहयोगी पार्टियों को देगी। हालांकि इसकी संभावना कम है कि नीतीश कुमार 12 सीटों पर मानेंगे। जो हो नीतीश के एनडीए में लौटने के बाद से ही इस पर माथापच्ची शुरू हो गई है कि सभी सहयोगी पार्टियों को किस तरह से एडजस्ट किया जाए ताकि बिना किसी विवाद के गठबंधन चुनाव में जाए। ध्यान रहे दूसरी ओर नीतीश के निकलते ही महागठबंधन में सीटों की संख्या पर्याप्त हो गई है और वहां किसी भी पार्टी को एडजस्ट किया जा सकता है।