आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला की पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। शर्मिला ने पिछले एक साल से बड़ी मेहनत की थी। उन्होंने पूरे प्रदेश में पदयात्रा की थी और संगठन खड़ा किया था। पहले कहा जा रहा था कि वे कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ेंगी। हालांकि कांग्रेस की ओर से उनको पार्टी का विलय करने का प्रस्ताव दिया गया था। इस बीच वे दिल्ली में सोनिया गांधी से मिली थीं। दोनों के बीच पुराने गिले-शिकवे दूर हुए थे। इसके बावजूद विलय का फैसला नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करके चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी।
दूसरी ओर अगर शर्मिला की पार्टी चुनाव लड़ती तो उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होता क्योंकि तेलंगना में रेड्डी वोट कांग्रेस का सबसे निष्ठावान वोट है। पार्टी के तीन सांसद हैं और तीनों रेड्डी समुदाय के हैं। प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी हैं, जिनको मुख्यमंत्री पद का अघोषित दावेदार माना जा रहा है। तभी अगर वाईएसआर शर्मिला चुनाव लड़तीं तो रेड्डी वोट में विभाजन होता। उनकी पार्टी का आधार भी रेड्डी वोट हैं। इसे टालने का रास्ता यह निकला है कि उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। वाईएसआर तेलंगाना पार्टी कांग्रेस का समर्थन करेगी। चुनाव के बाद फैसला होगा कि उनकी क्या भूमिका होगी और उनकी पार्टी का विलय होगा या स्वतंत्र रूप से पार्टी बनी रहेगी। कांग्रेस के नेता लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की बड़ी भूमिका देख रहे हैं। अगर तेलंगाना में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होता है तो शर्मिला के जरिए पार्टी जगन मोहन रेड्डी से भी संपर्क करेगी।