कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने फिर मुख्यमंत्री पद के लेकर कंफ्यूजन पैदा कर दिया है। खुद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। ध्यान रहे मई में चुनाव नतीजों के बाद उनको मुख्यमंत्री बनाते समय कांग्रेस आलाकमान द्वारा एक फॉर्मूला बनाए जाने की खबर आई थी, जिसके बिक आधे कार्यकाल के बाद डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। तभी डीके शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया और प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखा गया। अब सिद्धरमैया और उनके समर्थक पांच साल मुख्यमंत्री रहने की बात कर रहे हैं। हालांकि शिवकुमार ने इस पर कोई टिप्पणई नहीं की। उनके सांसद भाई डीके सुरेश ने भी मामला रफा-दफा करते हुए कहा कि कांग्रेस को पांच साल के लिए जनादेश मिला है और पार्टी अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला पार्टी आलाकमान को करना है।
इस बीच शिवकुमार के अलावा कई और दावेदार खड़े हो गए हैं। ध्यान रहे सिद्धरमैया पिछड़ी जाति से आते हैं और शिवकुमार वोक्कालिगा हैं। अब दो दलित नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन गए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और राज्य सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे की मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी सामने आई है तो पार्टी के पुराने दलित नेता जी परमेश्वरा ने भी अपनी दावेदारी की है। इस तरह पार्टी के अंदर नए नए खेमे बनने लगे हैं। उधर बेलगावी के नेता सतीश जरकिहोली ने राजनीति शुरू कर दी है। उनका लक्ष्य किसी तरह से शिवकुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनने देने का है। पिछली बार 2019 में उनके भाई रमेश जरकिहोली कांग्रेस में थे और उन्होंने विधायकों से बगावत करा कर सरकार गिरवाई थी। इस बार अगर शिवकुमार की दावेदारी होती है तो सतीश जरकिहोली बगावत करा सकते हैं। सो, कांग्रेस के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व दोनों को बहुत सावधानी से विवाद निपटाना होगा।