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19-06-2025 Vol 19

फैसले को मास्टरस्ट्रोक बताने के तर्क

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जिस तरह से भाजपा के नेता हक्का बक्का रह गए कि उनकी सरकार ने कैसे जाति गणना कराने का फैसला किया उसी तरह पत्रकारों की एक बड़ी बिरादरी भी बेचैन हुई कि उनकी सरकार ने यह क्या कर दिया। किसी पत्रकार का नाम लेने की जरुरत नहीं है लेकिन तमाम देवगन, कश्यप, गोस्वामी, चोपड़ा किस्म के पत्रकार भाजपा नेताओं से आगे बढ़ कर दावा कर रहे थे कि मोदी के रहते कभी जाति गणना नहीं हो सकती है क्योंकि मोदी देश तोड़ने का कोई भी फैसला नहीं कर सकते हैं।

उन्होंने भाजपा, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से बढ़ चढ़ कर दावा किया था कि विपक्ष देश बांटने की साजिश कर रही है और भाजपा, संघ, सरकार मिल कर देश बचा रहे हैं। वे जाति गणना की बात करने वाले राहुल गांधी को अरबन नक्सल बता रहे थे।

पत्रकारों का जाति गणना पर समर्थन और बदलती बयानी

तभी जब सरकार ने जाति गणना कराने का फैसला किया तो सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे पत्रकारों को हुई। लेकिन बेशर्मी भी कोई चीज होती है, जिसकी प्रचुरता इन पत्रकारों में हैं। उन्होंने जिस अंदाज में जाति गणना नहीं कराने का समर्थन किया था उससे आगे बढ़ कर जाति गणना के फैसले का समर्थन कर रहे हैं।

उन्होंने फैसले को जस्टिफाई करने और इसे मास्टरस्ट्रोक बताने के तर्क खोजने शुरू कर दिए हैं। एक पत्रकार का तर्क था कि मोदी ने तो कांग्रेस और विपक्ष का एजेंडा ही छीन लिया। विपक्ष को एजेंडाविहीन कर देना मास्टरस्ट्रोक है। दूसरे पत्रकार ने खोज कर बताया कि अब मुस्लिम समाज की जातियों की भी गिनती होगी और तब पता चलेगा कि उनमें कितना विभाजन है। ऐसे हास्यास्पद तर्कों से मोदी के फैसले को मास्टरस्ट्रोक ठहराने के प्रहसन चल रहा है।

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Pic Credit: ANI

NI Political Desk

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