Caste Census
भारतीय जनता पार्टी छोड़ने वाले पिछड़ी जाति के नेताओं को पार्टी में शामिल कराने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐलान किया
बिहार में जातीय जनगणना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। जहां एक ओर नीतीश कुमार जातीय जनगणना करवाने पर अडिग है तो भाजपा असमजंस की स्थिति में है।
वैसे तो केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों की ओर से कहा जा चुका है कि जनगणना में जातियों की गिनती नहीं होगी।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इसका सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी और हर पहलू का ध्यान रखते हुए जातियों की गिनती कराई जाएगी।
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने बड़ा फैसला किया है। राज्य सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला किया है और कहा है कि अपने खर्च से वह जातियों की गिनती कराएगी।
ओबीसी श्रेणी से संबंधित लोगों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति के उत्थान के लिए विश्वसनीय डेटा की आवश्यकता है।
जातियों की गिनती के बाद अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा भी उठने लगा है।
भारतीय जनता पार्टी को ऐसा लग रहा है कि जाति जनगणना पर पार्टी की लाइन तय करने में मुश्किल हो रही है। उसकी केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारों की लाइन तय है।
लालू प्रसाद ने बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद 1990 में कहा था कि वे 20 साल तक राज करेंगे। उन्होंने मंडल की राजनीति के दम पर 20 साल तक बिहार और केंद्र में राज भी किया।
सोरेन के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की शाह से मुलाकात, जाति आधारित जनगणना की मांग
धर्म बदल लेने वालों ने भी कभी जाति नहीं बदली, जिस धर्म में गए वहां अपनी जाति लेते गए। सो, भारत में जाति परम सत्य है। और अगर राजनीति की बात हो तो वहां जाति के आगे कुछ नहीं है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। उनके साथ बिहार के नेताओं का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पक्ष-विपक्ष के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल मिला तो उस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई ब्योरा क्यों नहीं जारी किया गया
बिहार में इसी बात की ज्यादा चर्चा है कि दोनों के बीच सद्भाव दिखा और मुख्यमंत्री ने तेजस्वी की तारीफ करते हुए कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री से मिलने का आइडिया उनका था।
कोई राजनीति एक विकासक्रम के साथ आगे बढ़ती है। अगर नेतृत्व इसे समझते हुए अपने एजेंडे को विकसित नहीं करता, तो वो सियासत गतिरुद्ध हो जाती है।