विपक्षी पार्टियों में होड़ मची है। सब श्रेय लेने में लगे हैं। विपक्ष का दावा है कि उनके दबाव में केंद्र सरकार ने जाति गणना का फैसला किया है। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसका श्रेय लिया। उन्होंने केंद्र सरकार से रोडमैप बताने और जाति गणना कराने की समय सीमा तय करने की मांग की।
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जाति गणना के आगे आरक्षण बढ़ाने का फैसला होगा। राहुल गांधी ने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को समाप्त किया जाएगा और आबादी के अनुपात में जातियों को आरक्षण मिलेगा। उन्होंने तेलंगाना मॉडल का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार को इसके हिसाब से जाति गणना करानी चाहिए। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके श्रेय लिया तो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटाखे फोड़े।
तेजस्वी यादव ने पटना में अपनी पार्टी के नेताओं और समर्थकों के साथ जश्न मनाया और कहा कि बिहार ने सबसे पहले जाति गणना कराई और उसके नतीजे जारी किए। गौरतलब है कि जिस समय नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की पार्टियों का गठबंधन था उसी समय जाति गणना हुई थी।
विपक्षी पार्टियां जाति गणना पर श्रेय ले रही हैं
हालांकि राहुल गांधी इस जाति गणना को खारिज करते हैं और बार बार कहते हें कि तेलंगाना मॉडल पर गिनती होनी चाहिए। बिहार में भी वे कह चुके हैं कि सरकार बनेगी तो नए सिरे से जाति गणना कराएंगे। लेकिन तेजस्वी यादव ने इसका श्रेय लिया क्योंकि जाति गणना के समय वे राज्य के उप मुख्यमंत्री थे।
तीसरी पार्टी जो श्रेय ले रही है वह नीतीश कुमार की जनता दल यू है। जनता दल यू के नेताओं का कहना है कि बिहार चुनाव और नीतीश कुमार के दबाव की वजह से सरकार ने पूरे देश में जाति गणना कराने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि जनता दल यू के नेताओं ने भाजपा को समझाया कि बिहार जीतने के लिए जाति गणना की घोषणा जरूरी है और बिहार जीतना इसलिए जरूरी है ताकि अगले साल असम और पश्चिम बंगाल में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करे।
वैसे भी नीतीश कुमार के रहते ही बिहार में जाति गणना हुई और आरक्षण बढ़ाने का फैसला हुआ। इसलिए उनकी पार्टी श्रेय ले रही है। कांग्रेस, राजद और जनता दल यू के अलावा समाजवादी पार्टी जैसी कुछ पार्टियां भी हैं, जो इसका श्रेय ले रही हैं।
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