यह बहुत बड़ी संख्या है और ध्यान नहीं आ रहा है कि किसी और राज्य के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार 10 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे हों और उनको इतना वोट मिला हो कि उससे दूसरे स्थान पर रहने वाली पार्टी हार जाए। यह हुआ है हरियाणा जैसे छोटे से राज्य में, जहां कुल 90 सीटें हैं और चुनाव लगभग दो ध्रुवीय हुआ है। इन 90 में से 10 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवारों को इतने वोट मिले, जिससे कांग्रेस हार गई। इसके अलावा चार सीटों पर छोटी पार्टियों के तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार ने कांग्रेस को हराया। कुल 14 सीटें यानी 15 फीसदी सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस दूसरे स्थान पर लेकिन तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार की वजह से हार गई। इसमें कुछ सीटें तो भाजपा के माइक्रो प्रबंधन वाली हैं और कुछ सीटें कांग्रेस की अपनी गलतियों वाले हैं, जहां उसने मजबूत उम्मीदवार को छोड़ कर किसी और मुलाहिजे में दूसरे उम्मीदवार को टिकट दिए।
ऐसी सीटों में सोहना, नरवाना, उचाना कलां, असंध, कालका, बाढ़रा, महेंद्रगढ़, सफीदों, यमुनानगर, राई, बरवाला, समालखा, दादरी और तोशाम शामिल हैं। इनमें से नरवाना, बरवाला और यमुनानगर में इनेलो और असंध में बसपा दूसरे स्थान पर रही। बाकी 10 सीटों पर निर्दलीय दूसरे स्थान पर रहे। सोहना में भाजपा के तेजपाल तंवर 11,877 वोट से जीते। कांग्रेस के रोहतास सिंह को 49,366 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय जावेद अहमद को 49,210 और चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय कल्याण सिंह को 21,754 वोट मिले। इसके बाद बसपा को भी 15 हजार और आप को तीन हजार वोट मिले। इनमें से जावेद अहमद ने तो निश्चित रूप से सिर्फ कांग्रेस का वोट काटा है।
हरियाणा में उचाना कलां की सीट बहुत हाई प्रोफाइल थी। भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में लौटे बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व आईएएस अधिकारी और पूर्व सांसद ब्रजेंद्र सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। वे सिर्फ 32 वोट से हारे, जबकि तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय वीरेंद्र घोघरियान को 31,456 और चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय विकास को 13,458 वोट मिले। पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस सीट पर पांचवें स्थान पर चले गए। ऐसे ही कालका सीट पर भाजपा की शक्ति रानी शर्मा ने कांग्रेस के प्रदीप चौधरी को 10,883 वोट से हराया, जबकि तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय गोपाल सुखोमाजरी को 31,688 वोट मिले। बाढ़रा सीट पर कांग्रेस के सोमवीर सिंह 7,585 वोट से हारे, जबकि तीसरे स्थान पर रहे सोमवीर घसोला को 26,730 वोट मिले।
तोशाम इतनी हाई प्रोफाइल सीट थी, जहां कांग्रेस ने चौधरी बंशीलाल के पोते अनिरूद्ध चौधरी को लड़ाया था और उनका मुकाबला अपनी चचेरी बहन से था। भाजपा ने बंशीलाल की पोती और किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को लड़ाया था। इस सीट पर अनिरूद्ध 14,257 वोट से हारे, जबकि तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय शशि रंजन परमार को 15,859 वोट मिले। टिकट बंटवारे में कांग्रेस ने कैसी गलतियां की इसकी मिसाल वल्लभगढ़ सीट है, जहां कांग्रेस की पूर्व विधायक शारदा राठौड़ टिकट मांगती रहीं लेकिन पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया। नतीजों में शारदा राठौड़ 44 हजार वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहीं, तीसरे स्थान पर निर्दलीय रहा और कांग्रेस की पराग शर्मा 8,674 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहीं। उनकी जमानत जब्त हो गई। ईवीएम वगैरह पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को इन बातों पर विचार करना चाहिए।