राहुल गांधी अमेरिका गए तो वहां उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में पिछले साल विधानसभा चुनाव के दिन आखिरी दो घंटे में 65 लाख वोट पड़े। उन्होंने कहा कि शाम साढ़े पांच से साढ़े सात बजे के बीच 65 लाख लोगों ने वोट किया। राहुल ने कहा कि पार्टियों को मतदान का एक आंकड़ा दिया गया था, जो बाद में पूरी तरह से बदल गया।
राहुल के वोटिंग आंकड़ों पर बवाल
इसके बाद उन्होंने समझाया कि एक मतदाता को तीन मिनट का समय लगता है वोट डालने में इसलिए यह संभव नहीं है कि इतने कम समय में 65 लाख लोग मतदान करें। इसका जवाब देते हुए चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि हर घंटे औसतन 58 लाख लोगों ने वोट डाले हैं। असल में महाराष्ट्र में 60 हजार से ज्यादा मतदान बूथ थे और हर बूथ पर अगर एक सौ वोट पड़ेगा तो 60 लाख से ज्यादा हो जाएगा। हर बूथ पर दो घंटे में सौ वोट पड़ना सामान्य सी बात है।
लेकिन पता नहीं किस व्यक्ति राहुल गांधी को तीन मिनट में एक वोट पड़ने का हिसाब समझाया है? यह भी सवाल है कि अगर किसी ने समझाया तो उनका अपना दिमाग भी तो लगाना चाहिए। उनको बिना सोचे समझे पढ़े लिखे लोगों के बीच इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। अगर उनकी बात को सही मानें कि तीन मिनट में एक व्यक्ति वोट डालता है तो इसका मतलब है कि एक घंटे में 20 आदमी वोट डालेगा और 10 घंटे की वोटिंग में एक बूथ पर दो सौ आदमी वोट डालेगा। ध्यान रहे एक बूथ पर एक हजार से ज्यादा मतदाता होते हैं और औसतन छह से सात सौ वोट पड़ता है।
इसका मतलब है कि हर घंटे 60 से 70 वोट पड़ते हैं। यह सही है कि एक व्यक्ति को तीन मिनट का समय लगता है लेकिन उस तीन मिनट में कई और लोग भी मतदान केंद्र के अंदर होते हैं। हर मतदाता को कम से कम चार टेबल पर जाना होता है। तो ऐसा नहीं होता है कि एक व्यक्ति चौथी टेबल तक पहुंचा है तो पहली टेबल की कर्मचारी चुपचाप बैठा है वह दूसरे मतदाता की प्रक्रिया पूरी कर रहा होता है। इसलिए एक घंटे में 65 लाख वोट पड़ जाना कोई असामान्य घटना नहीं है।
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