कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव में गड़बड़ियों के कई तरह के आरोप लगा रहे हैं। वे चुनाव आयोग की पहले से बिगड़ी हुई इमेज को और बिगाड़ने में लगे हैं। लेकिन इससे क्या हासिल होगा? वे चाहे जितनी बार कहें कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है या हरियाणा में गड़बड़ी हुई या महाराष्ट्र में गड़बड़ी हुई, इससे क्या होना है? क्या इसका चुनावी लाभ कांग्रेस को मिलने वाला है? क्या राहुल को लग रहा है कि इससे चुनाव आयोग में सुधार हो जाएगा या वे यह मान रहे हैं कि कांग्रेस की हर हार के लिए चुनाव आयोग की गड़बड़ी को दोषी ठहरा कर वे इन आरोपों से मुक्त हो जाएंगे कि उनकी कमान में कांग्रेस बुरी तरह से फेल हो रही है और जनता उनको नकार रही है?
चुनावी आरोपों से राहुल गांधी को क्या मिला?
हकीकत यह है कि चुनाव आयोग पर लगातार हमले से कुछ भी हासिल नहीं होना है। लोग भी उब जाएंगे। भारत के लोग बहुत जल्दी चीजों को स्वीकार कर लेते हैं और खुद को उसके अनुरूप ढाल लेते हैं। वे विसंगतियों से लड़ते नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी बार बार कहेंगे कि चुनाव आयोग गड़बड़ी है और उसने चुनावों में धांधली करके कांग्रेस को हराया तो कांग्रेस को वोट देने वाले करोड़ों लोग चुनाव आयोग के खिलाफ सड़क पर उतर जाएंगे। ऐसा भी नहीं होगा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता चुनाव आयोग से लड़ने उतरेंगे। इसके उलट यह होगा कि कांग्रेस की हार को नियति मान लिया जाएगा। लोग स्वीकार कर लेंगे कि कांग्रेस नहीं जीत सकती है। इसका आगे के चुनावों में ज्यादा नुकसान हो सकता है।
सवाल है कि अगर ऐसी स्थिति है तो फिर क्या रास्ता है? एक रास्ता तो ममता बनर्जी वाला है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने पकड़ा कि कई जगह डुप्लीकेट वोटर आईडी कार्ड है। यानी एक ही नाम के व्यक्ति के दो दो कार्ड बने हुए हैं और वह भी दो अलग अलग जगहों पर। इसके बाद ममता बनर्जी की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घर घर जाकर वोटर आईडी कार्ड चेक करना शुरू किया। चुनाव से एक साल पहले पार्टी इतनी अलर्ट हो गई कि हर मतदाता वोटर आईडी कार्ड चेक किया जा रहा है और मतदाता सूची में उसका नाम चेक किया जा रहा है।
इसका फायदा यह होगा कि अगर कहीं फर्जी मतदाता जोड़ने का प्रयास होगा तो तुरंत पता चल जाएगा और अगर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कटेंगे तो वह भी पता चल जाएगा।
क्या राहुल गांधी ऐसा कुछ करा रहे हैं? उनको पता चला कि महाराष्ट्र की बालिग आबादी से ज्यादा वोटर बनाए गए या आखिरी दो घंटे में 65 लाख वोट पड़े तो इसकी हकीकत पता लगाने के लिए उन्होंने क्या किया? राहुल ने अमेरिका में कहा कि महाराष्ट्र में मतदान के दिन शाम साढ़े पांच से साढ़े सात बजे के बीच 65 लाख लोगों ने वोट दिए। हरियाणा में ज्यादा या कम वोट गिने जाने की शिकायत भी की गई है। लेकिन इसको लेकर कोई आंदोलन न तो हरियाणा में हुआ है और न महाराष्ट्र में। महाराष्ट्र के एक गांव में लोगों ने नतीजों के बाद फिर से अपने यहां मतदान कराने का फैसला किया तो वह भी नहीं हो सका।
कांग्रेस उस मॉडल को आगे बढ़ा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसलिए ऐसा लग रहा है कि सिर्फ आरोप लगाना और नतीजों को डिसक्रेडिट करना लक्ष्य है, जिसका कुछ भी हासिल नहीं होगा।
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