एक छोटी सी खबर सोमवार, 16 जून को दिल्ली के अखबारों में छपी कि हरियणा में पुलिस कांस्टेबल की भर्ती रद्द कर दी गई है। राज्य में 56 सौ कांस्टेबल भर्ती होने थे, जिसे रद्द कर दिया गया है और नए सिरे से वैकेंसी लाने को कहा गया है। भारत में ऐसा अक्सर ही होता रहता है। जितनी भर्ती परीक्षा होती है उससे कई गुना ज्यादा परीक्षाएं रद्द होती हैं। इसलिए परीक्षा रद्द होना बडी खबर नहीं है। असली खबर यह है कि 56 सौ कांस्टेबल बहाल करने का विज्ञापन पिछले साल विधानसभा चुनाव के दिन निकला था। सोचें, जिस दिन हरियाणा में मतदान हो रहे थे उस दिन राज्य के कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी ने 56 सौ कांस्टेबल की बहाली निकाली!
कहने की जरुरत नहीं है कि लोगों के मतदान व्यवहार पर इसका बड़ा असर हुआ होगा। तभी कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन उससे कुछ नहीं होता है। सरकार का मकसद तो पूरा हो गया। उसके बाद सरकार इस वैकेंसी को भूल गई। हजारों नौजवानों ने आवेदन किया लेकिन बहाली की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। अब कांग्रेस की आपत्ति का बहाना बना कर इसको रद्द कर दिया गया है। कहा गया है कि अब नए सिरे से वैकेंसी निकाली जाएगी। उसके लिए कुछ नए नियम भी जोड़े जा रहे हैं, जैसे पहले कुल वैकेंसी के चार गुना छात्रों को शॉर्ट लिस्ट करना था और अब आगे जो वैकेंसी आएगी, उसमें 10 गुना युवाओं को शॉर्ट लिस्ट किया जाएगा। बहरहाल, चुनाव के समय आजमाए जाने वाले कई उपायों में से यह भी एक कारगर उपाय है कि मतदान के दिन वैकेंसी निकाल दो और लोग वोट दे दें तो वैकेंसी को भूल जाए और फिर विपक्षी पार्टी के विरोध के आधार पर वैकेंसी रद्द कर दो।