भारतीय जनता पार्टी के केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारें बाकी कामकाज के अलावा एक काम नाम बदलने का भी करती है। सड़कों के नाम बदले गए हैं, रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए, शैक्षिक व शोध संस्थानों के नाम बदले गए और पिछले दिनों उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने तो एक साथ दर्जनों गांवों के नाम भी बदल दिए।
इसके मुकाबले विपक्षी पार्टियों की सरकारें नाम बदलने का काम नहीं करती हैं या कम करती हैं। परंतु झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जैसे को तैसा राजनीति कर दी है। उन्होंने अपने राज्य की एक यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया है।
हेमंत ने बदला यूनिवर्सिटी का नाम
हेमंत सोरेन सरकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया है। अब इस यूनिवर्सिटी का नाम वीर शहीद बुद्धु भगत यूनिवर्सिटी कर दिया गया है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ और हिंदुत्व की राजनीति के विचारक रहे हैं। दूसरी ओर शहीद वीर बुद्धु भगत उरांव आदिवासी समुदाय के नायक हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कोल विद्रोह का नेतृत्व किया था।
1857 की लड़ाई से दशकों पहले 1831-32 में बुद्धु भगत ने कोल विद्रोह का नेतृत्व किया था। उनके नाम पर यूनिवर्सिटी का नाम रखे जाने का कोई विरोध नहीं कर पा रहा है। तभी भाजपा के नेता भी बहुत संभल कर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। दूसरी ओर हेमंत सोरने पूरी शिद्दत से अपने वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। उनको पता है कि आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई वोट के दम पर वे झारखंड में राज करते रह सकते हैं। दूसरी ओर भाजपा गैर आदिवासी वोट की अपनी राजनीति छोड़ कर आदिवासी वोट की मृग मरीचिका में भटक रही है।
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