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कर्नाटक में छत्तीसगढ़ की कहानी

karnatak congress

karnatak congress : कर्नाटक में तमाम कोशिश के बावजूद कांग्रेस आलाकमान गुटबाजी खत्म नहीं करा पा रहा है और न नेताओं की बयानबाजी रूक रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का प्रदेश होने के बावजूद नेताओं में खुलेआम झगड़े हो रहे हैं।

छोटे नेताओं और मंत्रियों के साथ साथ पार्टी के बड़े नेता भी इस विवाद में शामिल हो गए हैं। (karnatak congress) इस विवाद में कूदे नए नेता हैं की वीरप्पा मोईली। वे पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं।

उन्होंने कहा है कि उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनने से कोई ताकत नहीं रोक पाएगी। हालांकि उनके बयान पर डीके शिवकुमार ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस बारे में बात करनी होगी तो खड़गे व अन्य राष्ट्रीय नेताओं से बात होगी।

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गुटबाजी के चक्कर में गंवाई (karnatak congress)

इस बीच राज्य के हालात छत्तीसगढ़ के जैसे हो गए हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 15 साल के इंतजार के बाद 2018 में सत्ता में आई थी लेकिन भूपेश बघेल के बतौर मुख्यमंत्री ढाई साल पूरे होने के बाद टीएस सिंहदेव ने ढाई ढाई साल की सत्ता हिस्सेदारी का राग छेड़ दिया।

उसके बाद दोनों ने दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन किया। (karnatak congress) इसके बाद दोनों के बीच खींचतान चलती रही और अंत में 2023 में कांग्रेस चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस ने 15 साल बाद मिली सत्ता गुटबाजी के चक्कर में गंवा दी।

कर्नाटक में भी उसी किस्म का विवाद शुरू हो गया है। पूरी पार्टी दो गुटों में बंटी है। सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार गुट का विवाद चल रहा है और उसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का एक छोटा से गुट अलग है।

हालांकि कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण यह है कि कर्नाटक में भाजपा भी कई गुटों में बंटी है और सारे गुट एक दूसरे को निपटा रहे हैं। (karnatak congress)

By NI Political Desk

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