कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को छोड़ दें तो बाकी पूर्व मुख्यमंत्रियों का एक ही जैसा हाल होता है। पार्टी बड़ी उम्मीद और जोश-खरोश के साथ उनको मुख्यमंत्री बनाती है फिर पूरी तरह से हाशिए में डाल देती है। ताजा मामला इसी साल मई में मुख्यमंत्री पद से हटे बसवराज बोम्मई का है। मई में पार्टी हारी तभी से कहा जा रहा था कि वे विधायक दल के नेता होंगे और इस नाते नेता प्रतिपक्ष बनेंगे। लेकिन विधायक दल के नेता का फैसला छह महीने तक रूका रहा। छह महीने बाद उनकी बजाय पूर्व उप मुख्यमंत्री आर अशोक को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। वे भी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। इससे पहले बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे लिंगायत समुदाय के हैं।
कर्नाटक में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों में अकेले येदियुरप्पा हैं, जिन्होंने अपना महत्व बनाए रखा। बाकी पूर्व मुख्यमंत्रियों की दशा अच्छी नहीं रही है। लिंगायत समुदाय के बड़े नेता जगदीश शेट्टार भी मुख्यमंत्री रहे थे। लेकिन इस साल के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनको टिकट ही नहीं दिया। टिकट नहीं मिलने से नाराज शेट्टार ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। उनसे पहले मुख्यमंत्री बने डीवी सदानंद गौड़ा की स्थिति भी ऐसी ही रही। वे कुछ समय केंद्र में मंत्री रहे लेकिन 2019 में भाजपा की सरकार बनने पर उनको मंत्री नहीं बनाया गया। अब उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी उनको टिकट नहीं देने वाली है इसलिए पहले ही संन्यास का ऐलान कर दिया है।