राजद प्रमुख लालू प्रसाद अपनी हास्य व्यंग्य की शैली के लिए मशहूर हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि उम्र और सेहत ने उनकी भाषण शैली को प्रभावित किया है। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में महागठबंधन की ओर से आयोजित जन विश्वास रैली के दौरान लालू प्रसाद के भाषण में राजनीति कंटेंट की कमी दिखी और उलटे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर बेहद निजी हमला किया। Lalu Prasad Yadav
]इससे कोई राजनीतिक नैरेटिव तो नहीं बना लेकिन भाजपा और जदयू समर्थकों में नाराजगी जरूर बन गई। हालांकि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी का भाषण राजनीतिक नैरेटिव बनाने वाला था। तेजस्वी ने राजद को ए टू जेड की पार्टी बताते हुए माई यानी मुस्लिम और यादव समीकरण से बाहर निकलने का प्रयास किया। उन्होंने रोजगार देने की प्रक्रिया जारी रखने की चुनौती भी नीतीश कुमार को दी।
बहरहाल, लालू प्रसाद का हमला मोदी और नीतीश पर रहा। उन्होंने मोदी के लिए कहा कि उनको संतान नहीं है और वे असली हिंदू नहीं हैं। लालू ने इस आधार पर उनके हिंदू होने पर सवाल उठाया कि उन्होंने अपनी मां के निधन पर बाल नहीं मुंडवाए थे। यह बहुत निराधार आलोचना थी क्योंकि हिंदू धर्म में इतनी विविधता है कि देश के अलग अलग हिस्सों में श्राद्ध को लेकर लोग अलग अलग तरह की रीति रिवाज मानते हैं। Lalu Prasad Yadav
हिंदुओं में ही सौ तरह की परंपराएं हैं। इस तरह लालू प्रसाद ने नीतीश की सेहत का सवाल उठा कर कहा कि उनका शरीर काम नहीं कर रहा है। सोचें, थोड़े दिन पहले तक लालू प्रसाद खुद ही पूरी तरह से अशक्त हो गए थे और उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने अपनी किडनी उनको डोनेट की, जिसके बाद उनकी सेहत थोड़ी सुधरी है। लेकिन उन्होंने 73 साल के नीतीश की सेहत का मुद्दा बनाया। कुल मिला कर ताली बजवाने या ठहाके लगवाने की सोच में लालू प्रसाद ने इधर उधर की बातें ज्यादा कीं।
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