सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने की याचिका तो खारिज कर दी लेकिन इसके साथ ही एक ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इससे पहले हाई कोर्ट ने भी जेल में बंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पदसे हटाने की याचिकाएं खारिज की थीं लेकिन उसने कोई टिप्पणी नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिपांकर दत्ता की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोई कानून नहीं है इसलिए अदालत कोई फैसला नहीं कर सकती है लेकिन अगर दिल्ली के उप राज्यपाल यानी एलजी चाहें तो कुछ कर सकते हैं। सवाल है कि एलजी क्या कर सकते हैं? यह भी सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट यह टिप्पणी ऐसे ही कर दी या कोई कानूनी स्थिति ऐसी है, जिसमें एलजी कोई फैसला कर सकते हैं?
ध्यान रहे दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ केजरीवाल और उनकी पूरी सरकार का टकराव चल रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से गेंद एलजी के पाले में चली गई है। जो लोग अब तक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रहे थे वे एलजी के यहां गुजारिश करेंगे कि जेल में बंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए। इससे पहले एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद होने के आधार पर भले केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जा सकता है लेकिन लंबे समय तक या अनिश्चितकाल तक मुख्यमंत्री गैरहाजिर नहीं रह सकते हैं। केजरीवाल जब एक जून के बाद जेल जाएंगे तब इसे आधार बना कर उनको हटाने की याचिका दी जा सकती है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि उनके गैरहाजिर रहने पर कैबिनेट की बैठक नहीं हो पाएगी और इस वजह से बड़े फैसले रूक सकते हैं। तभी माना जा रहा है कि केजरीवाल के पास जून का महीना है क्योंकि उस समय सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी होगी। गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला आने से पहले शायद ही एलजी उनको हटाने की कार्रवाई करें।