लोकसभा चुनाव के बीच भी कांग्रेस का झगड़ा सुलझ नहीं रहा है। दिल्ली और उससे सटे हरियाणा से लेकर पंजाब और महाराष्ट्र तक पार्टी के आंतरिक झगड़े का असर चुनाव पर पड़ रहा है। चुनाव के बीच दिलली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आम आदमी पार्टी से तालमेल पर सवाल उठाया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि उनके पार्टी छोड़ने का कारण वह नहीं है। उन्होंने इस तालमेल को स्वीकार कर लिया था। लेकिन टिकट बंटवारे और संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर जिस तरह से पार्टी के प्रभारी दीपक बाबरिया ने मनमानी की उससे पार्टी के अनेक नेता नाराज हैं। दिल्ली प्रदेश कमेटी में कोई नहीं चाहता था कि कन्हैया कुमार और उदित राज चुनाव लड़ें। लेकिन कथित तौर पर राहुल गांधी ने इनका फैसला कराया।
सोचें, सोनिया गांधी ने पार्टी के पुराने नेता जयप्रकाश अग्रवाल की टिकट चांदनी चौक से कराई और राहुल गांधी ने क्या किया? राहुल ने भाजपा से आए उदित राज को उत्तर पश्चिम सीट पर और सीपीआई से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से टिकट दिलवा दी। अब दोनों के साथ न तो कांग्रेस के नेता सहयोग कर रहे हैं और न आम आदमी पार्टी के नेता कर रहे हैं। इन दोनों का अगर कुछ आधार है तो वह सोशल मीडिया में ही है। लवली ने इस्तीफा दिया है लेकिन वे विरोध करने वाले अकेले नहीं हैं। दिक्कत यह है कि जैसे ही लवली ने इस्तीफा दिया उनको भाजपा का एजेंट बताया जाने लगा और कहा जाने लगा कि वे लोकसभा भी हार गए थे और विधानसभा भी। हो सकता है कि वे भाजपा के एजेंट हों लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाए उन पर तो पार्टी को विचार करना चाहिए। जहां तक हारने का सवाल है तो दिवंगत शीला दीक्षित से लेकर पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन तक दिल्ली के सारे बड़े नेता लोकसभा और विधानसभा चुनाव सब हारे हुए हैं।