विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और सत्तापक्ष यानी भाजपा के गठबंधन एनडीए दोनों में किस गठबंधन में ज्यादा परिवारवादी पार्टियां हैं? वैसे तो कोई बहुत जेनरल नॉलेज का सवाल नहीं है लेकिन उठा इसलिए है क्योंकि भाजपा के दो दिन के राष्ट्रीय अधिवेशन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन में परिवारवादी पार्टियां भरी हुई हैं। मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि सात परिवारवादी पार्टियां हैं। हालांकि वह संख्या इससे ज्यादा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो परिवारवाद पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। पता नहीं एनडीए में शामिल परिवारवादी पार्टियों के नेताओं ने इसे किस तरह से लिया होगा। लेकिन फिलहाल सवाल यह है कि ज्यादा परिवारवादी पार्टियां किस गठबंधन में हैं?
अगर दोनों गठबंधनों की पार्टियों की सूची सामने रखें तो ज्यादा फर्क नहीं दिखेगा। उन्नीस-बीस का ही फर्क है। हां, एक बेसिक फर्क यह है कि विपक्षी गठबंधन की केंद्रीय पार्टी यानी कांग्रेस का नेतृत्व एक परिवार के हाथ में है, जबकि एनडीए का नेतृत्व कर रही भाजपा में ऐसा नहीं है। हालांकि यह एक तकनीकी फर्क है। भाजपा में भी हमेशा पार्टी की वास्तविक कमान चुनिंदा लोगों के हाथ में ही रही है। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवादी पार्टियों की एक नई परिभाषा बताई है। इसके मुताबिक परिवार के कई लोगों का राजनीति में होना परिवारवाद नहीं है, बल्कि किसी पार्टी की कमान एक परिवार के हाथ में होना परिवारवाद है। सो, दोनों गठबंधनों की समीक्षा इसी कसौटी पर होगी।
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पहले विपक्षी गठबंधन की बात करें तो उसमें कांग्रेस से शुरुआत होगी, जिसकी कमान नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के हाथ में है। इसके बाद राजद, जिसकी कमान लालू परिवार के पास है। करुणानिधि परिवार की पार्टी डीएमके, शिबू सोरेन परिवार की जेएमएम, बाल ठाकरे के परिवार की शिव सेना, शरद पवार की एनसीपी, मुलायम सिंह परिवार की समाजवादी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस। हालांकि एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस की कमान अभी पहली पीढ़ी के हाथ में ही है। इसके अलावा भी कुछ छोटी मोटी पार्टियां हो सकती हैं लेकिन मोटे तौर पर ये आठ बड़ी पार्टियां हैं, जिनको मोदी की परिभाषा के हिसाब से परिवारवादी कह सकते हैं।
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अगर मोदी की परिभाषा के हिसाब से ही एनडीए को देखें तो वहां इससे थोड़ी ज्यादा परिवारवादी पार्टियां दिखेंगी। देवगौड़ा परिवार की पार्टी जेडीएस का तालमेल भाजपा से है तो रामविलास पासवान के परिवार की दो पार्टियां- राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास भी एनडीए में हैं। सोनेलाल पटेल के परिवार की पार्टी अपना दल, संजय निषाद के परिवार की निषाद पार्टी, शरद पवार के परिवार की असली एनसीपी, चौधरी देवीलाल के परिवार की जननायक जनता पार्टी, जीतन राम मांझी के परिवार की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा आदि एनडीए में शामिल हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो तीन पुरानी परिवारवादी पार्टियां जल्दी ही औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल होंगी। एनटी रामाराव के परिवार की टीडीपी, प्रकाश सिंह बादल परिवार की अकाली दल और चौधरी चरण सिंह के परिवार की राष्ट्रीय लोकदल जल्दी ही एनडीए का हिस्सा बनने वाले हैं। पता नहीं परिवारवादी पार्टियों को खत्म करने के ऐलान का क्या असर इन पार्टियों पर हुआ है?