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विपक्ष का गठबंधन क्या काम आएगा

देश के दो सबसे बड़े राज्यों में विपक्षी गठबंधन (Opposition Party) हो गया है। राजनीतिक रूप से हमेशा सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले दो राज्यों- उत्तर प्रदेश (UP) और बिहार (Bihar) में विपक्षी पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है। नीतीश कुमार के विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से अलग होने के बाद ऐसा लग रहा था कि हिंदी पट्टी में लड़ाई समाप्त हो गई है। भाजपा (BJP) को कोई चुनौती नहीं होगी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियां एक बार फिर अपनी हिचक छोड़ कर साथ आ रही हैं। बिहार में राजद और कांग्रेस का तालमेल हो रहा है तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ आए हैं। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand mukti morcha) और कांग्रेस को मिल कर लड़ना है।

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तीन प्रादेशिक पार्टियों- राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से कांग्रेस का तालमेल उत्तर और कुछ हद तक पूर्वी भारत में विपक्षी पार्टियों की साझा लड़ाई की मजबूत शुरुआत है। खबर है कि एक दो दिन में आम आदमी पार्टी के साथ भी कांग्रेस का तालमेल हो जाएगा। समाजवादी पार्टी (SP) के साथ उत्तर प्रदेश को लेकर जो तालमेल हुआ है उसमें मध्य प्रदेश को भी शामिल किया गया है। वहां की एक सीट कांग्रेस ने सपा के लिए छोड़ने का फैसला किया है। सोचें, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो-चार सीट छोड़ने के लिए राजी नहीं हुई थी लेकिन लोकसभा में एक सीट दे रही है। इसी तरह आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली में तालमेल होगा तो बदले में कांग्रेस आप को गुजरात, गोवा और हरियाणा में भी सीट देगी। इस तरह एक पंजाब को छोड़ कर लगभग पूरे उत्तर व पूर्वी भारत में विपक्ष का गठबंधन तैयार हो रहा है।

लेकिन सवाल है कि क्या यह गठबंधन काम करेगा और विपक्ष को इसका फायदा मिलेगा? ध्यान रहे राजनीति बहुत जटिल प्रक्रिया है और चुनाव लड़ने वालों को पता होता है कि आखिरी समय तक खेल बदल सकता है। इसलिए नतीजों की भविष्यवाणी करने की बजाय यह देखने की जरुरत है कि क्या विपक्षी गठबंधन में ऐसे तत्व हैं, जिनसे वह भाजपा का मुकाबला कर पाएगी?

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ध्यान रहे पिछले साल अप्रैल-मई में नीतीश कुमार की पहल पर जब सभी विपक्षी पार्टियां (Opposition Parties) साथ आई थीं तो यह बुनियादी सिद्धांत तय हुआ था कि भाजपा के हर उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार होगा। वन टू वन चुनाव बनाने का फैसला हुआ था। इन गठबंधनों से कम से कम उस एक लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) जरूर अलग लड़ेगी और हर सीट पर तीन उम्मीदवार होंगे लेकिन मुकाबला भाजपा बनाम विपक्षी गठबंधन ही होगा। इसे एक अपवाद मान लें तो उत्तर भारत में हर राज्य में हर सीट पर भाजपा से सीधा मुकाबला ‘इंडिया’ का होगा। यह अपने आप में बड़ी बात है। नतीजे तो आगे गठबंधन की तैयारियों, उम्मीदवारों और प्रचार से तय होंगे।

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