महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव तीन साल से ज्यादा समय से नहीं हो रहे हैं। कोरोना महामारी के नाम पर निकाय चुनाव टाले गए थे और उसके बाद किसी न किसी बहाने इसको टाला जा रहा था। पहले ओबीसी आरक्षण के नाम पर चुनाव टला रहा और अंत में सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद चुनाव की तैयारियां शुरू हुईं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस पर फिर से ग्रहण लग रहा है। असल में बुधवार, 15 अक्टूबर को राज्य की सभी विपक्षी पार्टियों के नेता राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलने गए थे। वहां उन्होंने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला उठाया। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि जब तक मतदाता सूची में सुधार नहीं हो जाता है और फर्जी मतदाताओं के नाम नहीं कट जाते हैं तब तक चुनाव नहीं कराना चाहिए।
एक तो यह कारण लग रहा है कि चुनाव इस आधार पर टल सकता है। अगर मतदाता सूची में सुधार के नाम पर सभी पार्टियां राजी होती हैं तो सुप्रीम कोर्ट समय सीमा हटा सकता है। ध्यान रहे चुनाव आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का ऐलान किया है। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिख कर कहा है कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों के कारण महाराष्ट्र का एसआईआर टाल दिया जाए। उसके बाद पार्टियों ने मतदाता सूची में सुधार की मांग की है। अगर इन दोनों को मिला दिया जाए तो यह संभव है कि एसआईआर होने तक चुनाव टल जाए और एसआईआर के बाद ही बीएमसी सहित सभी स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएं।


