बिहार में लगातार दूसरे चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने ग्रैंड सेकुलर अलायंस बनाया है। पिछले चुनाव में यानी 2020 में उसने भाजपा के पुराने सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की उस समय की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ तालमेल किया था और ग्रैंड सेकुलर अलायंस बनाया था। उस समय इसका नाम ग्रैंड सेकुलर डेमोक्रेटिक अलायंस यानी जीएसडीए था। इस बार ग्रैंड सेकुलर अलायंस नाम से ओवैसी ने उत्तर प्रदेश की नगीना सीट के सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और उत्तर प्रदेश के पिछड़ा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी के साथ अलायंस बनाया है।
पिछली बार एमआईएम, रालोसपा और बसपा को मिल कर साढ़े तीन फीसदी के करीब वोट मिला था। इसमें अकेले कुशवाहा ऐसे व्यक्ति थे, जिनसे भाजपा या एनडीए को नुकसान हो रहा था। बाकी दो पार्टियां महागठबंधन का नुकसान कर रही थीं। इस बार भी मौर्य की पार्टी हो सकता है कि थोड़ा बहुत नुकसान एनडीए को करे लेकिन चंद्रशेखर आजाद और ओवैसी की पार्टी स्पष्ट रूप से महागठबंधन को नुकसान करेंगे। ओवैसी ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिसमें ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल सीमांचल की हैं। ध्यान रहे बसपा अकेले लड़ रही है तो आजाद की पार्टी उसी वोट में से कुछ काटेगी। इस बार दलित समुदाय में रविदास का वोट महागठबंधन की ओर जाता दिख रहा था, जिसके दो दावेदार, बसपा व आसपा बिहार में चुनाव लड़ गए हैं।


