राजनीतिक चंदे के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड की योजना को सुप्रीम कोर्ट ने जब अवैध घोषित किया और उस पर रोक लगाई तब से भारतीय जनता पार्टी सदमे में है और बैकफुट पर भी है। पार्टी के नेताओं को समझ में नहीं आया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कैसे आलोचना करें और चुनावी बॉन्ड की योजना का कैसे बचाव करें। इसका नतीजा यह हुआ कि विपक्ष को इसे भ्रष्टाचार बताने का मौका मिल गया। सभी विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का तो जाति गणना और आरक्षण के बाद सबसे बड़ा मुद्दा ही चुनावी बॉन्ड में हुआ कथित भ्रष्टाचार है।
कांग्रेस लोकसभा चुनाव के प्रचार में बता रही है कि लोगों ने चुनावी बॉन्ड खरीद कर दिए तो उन्हें सरकारी ठेके मिले और चुनावी बॉन्ड खरीद कर भाजपा को दिया तो केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाइयों से राहत मिली। पहले लग रहा था कि चुनावी बॉन्ड का मामला बहुत तकनीकी और कानूनी है इसलिए आम लोगों को समझ में नहीं आएगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब इसके आंकड़े सार्वजनिक हुए तो कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने इसके बारे में लोगों को सरल भाषा में समझाने का तरीका निकाल लिया। बाकी रही सही कसर आंकड़ों ने पूरी कर दी, जो लगभग सभी अखबारों में छपी। इस वजह से भाजपा बैकफुट पर आई। उसके नेताओं और प्रवक्ताओं ने इस पर चुप्पी साध ली। भाजपा की चुप्पी से विपक्ष के प्रचार को और बल मिल गया।
लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने इस पर आक्रामक तरीके से जवाब देने की रणनीति बनाई है, जिसकी कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली। उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि चुनावी बॉन्ड की योजना बिल्कुल सही मंशा के साथ लाई गई थी। मोदी ने कहा कि इस पर हल्ला मचाने वाले लोग बाद में पछताएंगे क्योंकि काले धन के लिए रास्ता खुल गया है। प्रधानमंत्री इसका बचाव करने में यहां तक गए कि उन्होंने कहा कि आज मनी ट्रेल का पता चल रहा है तो इस कानून की वजह से। सोचें, सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जनता को यह जानने का हक नहीं है कि किसी पार्टी को किसने और कितना चंदा दिया। सरकार ने गोपनीयता को इस कानून की सबस अहम चीज कहा था और अब जब सचाई सामने आ गई तो पीएम कह रहे हैं कि कानून के कारण ऐसा हुआ है!
बहरहाल, प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंग्रेजी के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर केंद्र में फिर से भाजपा की सरकार बनती है तो वह दोबारा चुनावी बॉन्ड की योजना लाएगी। हालांकि उन्होंने इसमें यह जोड़ दिया कि इस बार सरकार लोगों से राय मशविरा करके इसे लागू करेगी। असल में इसके जरिए भाजपा आम लोगों को बताना चाह रही है कि कानून में कोई गड़बडी नहीं थी और भाजपा बैकफुट पर नहीं है। इन तर्कों से भाजपा विपक्ष के आरोपों का आक्रामक तरीके से जवाब दे रही है। हालांकि भाजपा ने इसमें देरी कर दी। उसे इसका नुकसान हो चुका है।