आतंकवाद की फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने भारत की उम्मीदों को झटका दिया है। उसने आतंकवाद की फंडिंग के मामले में पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है। असल में पिछले दिनों एफएटीएफ ने पहलगाम कांड के 55 दिन बाद पहला बयान जारी किया था और कहा था कि यह कोई साधारण घटना नहीं है। इस तरह की घटना के लिए परदे के पीछे से बड़ी फंडिंग की जरुरत होती है। इससे भारत को उम्मीद जगी थी कि पाकिस्तान पर शिकंजा कसेगा। भारत की ओर से कहा गया कि आतंकवाद की फंडिंग पाकिस्तान कर रहा है और वह हवाला के जरिए काले धन का रैकेट चला रहा है। एफएटीएफ के बयान से भारत को उम्मीद जगी थी कि अब पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई होगी। भारत की एजेंसियों ने पाकिस्तान के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए हैं और कहा गया था कि इन्हें एफएटीएफ की सामने पेश किया जाएगा। इस संस्था की एक अहम बैठक अगस्त में होने वाली है।
भारत चाहता है कि पाकिस्तान को संदिग्ध देशों की ग्रे सूची में डाला जाए। पहले पाकिस्तान इस सूची में था। इसका असर यह होता है कि बिना कुछ कहे ग्रे सूची वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की फंडिंग रूक जाती है। गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान को आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और एडीबी तीनों ने कर्ज दिया है या देने की घोषणा की है। भारत ने इसे भी रूकवाने की कोशिश की थी लेकिन किसी वित्तीय संस्था ने भारत की नहीं सुनी। अब एफएटीएफ ने भी झटका दे दिया है। पहलगाम पर बयान देने के एक दिन बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा कि पाकिस्तान 2022 में किए गए वादों के मुताबिक आतंकवाद की फंडिंग रूकवाने और आतंकवाद की नकेल कसने के लिए काम कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि पहलगाम पर दिए बयान से पाकिस्तान पर सवाल उठे थे तो एफएटीएफ ने स्थिति स्पष्ट की है और पाकिस्तान को क्लीन चिट दी है।