संसद का मानसून सत्र बहुत हंगामे वाला होगा। विपक्षी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्टी की एक अहम बैठक मंगलवार, 15 जुलाई को होने वाली है। संसदीय बोर्ड की प्रमुख सोनिया गांधी ने यह बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इसमें संसद के मानसून सत्र में पार्टी की रणनीति पर विचार होगा और साथ ही सहयोगी पार्टियों और भाजपा विरोधी अन्य पार्टियों के साथ फ्लोर कोऑर्डिनेशन को लेकर भी चर्चा होगी। इसके बाद बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से ‘इंडिया’ ब्लॉक की सभी पार्टियों की बैठक बुलाई जाएगी। आमतौर पर ऐसी बैठक सत्र के पहले दिन संसद में ही राज्यसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चैम्बर में होती है। लेकिन इस बार सरकार की ओर से होने वाली सर्वदलीय बैठक की तरह कांग्रेस विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक करेगी।
ध्यान रहे 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से विपक्ष विशेष सत्र की मांग कर रहा था। लेकिन सरकारर ने ध्यान नहीं दिया। तभी से विपक्ष मानसून सत्र का इंतजार कर रहा था। ध्यान रहे अभी तक पहलगाम कांड को अंजाम देने वाले आतंकवादियों का कुछ पता नहीं चल सका है। विपक्ष जोर शोर से यह मुद्दा उठाएगा। दूसरा मुद्दा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को हुए नुकसान का है। सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को नुकसान हुआ था। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल दावा कर रहे हैं कि कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने चुनौती दी है कि कोई भारत को हुए नुकसान की एक तस्वीर दिखा दे। यह चुनौती उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर हुए युद्धविराम के दो महीने के बाद किया है। विपक्ष इस मुद्दे पर सवाल करेगा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को क्या नुकसान हुआ और क्या सचमुच राफेल विमान क्षतिग्रस्त हुए थे। इसी से जुड़ा तीसरा मुद्दा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार बार सीजफायर का श्रेय लेने का है। वे 20 बार से ज्यादा कह चुके हैं कि उन्होंने व्यापार रोकने और टैरिफ बढ़ाने की धमकी देकर दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों यानी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रूकवाया था। विपक्ष इस पर भी सरकार से स्पष्टता की मांग करेगा।
मानसून सत्र में एक बड़ा मुद्दा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का है। विपक्ष का कहना है कि यह यह अभियान मतदाताओं के एक खास वर्ग को बांग्लादेशी, रोहिंग्या या नेपाली बता कर नाम काटने के लिए चलाया जा रहा है। साथ ही विपक्ष इसे पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने का प्रयास भी बता रहा है। चुनाव आयोग ने कह दिया है कि बिहार के बाद पूरे देश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण होगा। उसने पश्चिम बंगाल और असम का खासतौर से जिक्र किया है। सो, अब यह बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश का मामला है। इसलिए हर राज्य की प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस के साथ मिल कर संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोर शोर से उठाएंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी की पार्टी इस मसले पर कांग्रेस के साथ मिल तालमेल बैठाती है या नहीं!


