सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत मार्के की बात कही है। सर्वोच्च अदालत ने राज्यों की प्रति व्यक्ति आय और उन राज्यों में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी की दिलचस्प तुलना की है। इस तुलना में कई बहुत हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जैसे प्रति व्यक्ति आय के मामले में गुजरात शीर्ष के राज्यों में है, जहां प्रति व्यक्ति सालाना आय 2.72 लाख रुपए है लेकिन उस राज्य की 83 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। सोचें, छह करोड़ की आबादी वाले गुजरात के बारे में, जिसका मॉडल दिखा कर नरेंद्र मोदी देश भर में चुनाव लड़े। वहां 30 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसमें 13 साल तो खुद नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहे और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले 11 साल से डबल इंजन की सरकार चल रही है लेकिन 83 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है।
राजस्थान में प्रति व्यक्ति सालाना आय एक लाख 68 हजार रुपए है लेकिन वहां की 94 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। इन शीर्ष राज्यों की तुलना में बिहार सबसे नीचे है, जहां प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 60 हजार रुपए है लेकिन गरीबी रेखा के नीचे की आबादी 66 फीसदी है। जाहिर है बिहार की ज्यादातर आबादी ही गरीब है और मध्य वर्ग का आकार बहुत छोटा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज जस्टिस सूर्यकांत आखिर कैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय इतनी ऊंची है और इतनी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। उनका कहना है कि सरकारें योजनाओं का लाभ कमजोर तबके तक नहीं पहुंचा पा रही हैं। लेकिन इसके अलावा भयंकर आर्थिक असमानता की चर्चा भी होनी चाहिए।