nayaindia abhishek manu singhvi सिंघवी क्या झारखंड से राज्यसभा जाएंगे?

सिंघवी क्या झारखंड से राज्यसभा जाएंगे?

abhishek manu singhvi
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कांग्रेस नेता और देश के जाने माने वकील अभिषेक सिंघवी राज्यसभा जाते जाते रह गए। कांग्रेस ने उन्हें अपने हिसाब से सबसे सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और 40 विधायकों का बहुमत है। तीन निर्दलीय भी कांग्रेस के साथ ही थे। जबकि दूसरी ओर भाजपा के सिर्फ 25 विधायक थे। तभी जीत में कोई संशय नहीं था। लेकिन कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, जिससे सिंघवी और भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले। abhishek manu singhvi

अंत में लॉटरी से फैसला हुआ, जिसमें सिंघवी हार गए। उन्होंने ईश्वर की मर्जी मान कर नतीजे को स्वीकार कर लिया। पिछली बार वे पश्चिम बंगाल से राज्यसभा पहुंचे थे। तब कांग्रेस के पास पूरी संख्या नहीं थी लेकिन ममता बनर्जी ने उनकी मदद की थी। सो, अब सवाल है कि क्या सिंघवी दो साल और इंतजार करेंगे या कोई दूसरी संभावना है? क्या वे झारखंड से राज्यसभा में जाएंगे?

अगले महीने दो राज्यों की पांच सीटों के लिए राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं। 21 मार्च को झारखंड की दो और केरल की तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। इसमें केरल की एक सीट कांग्रेस को मिलेगी और झारखंड की एक सीट पर भी कांग्रेस का दावा है। असल में पिछले दो चुनावों से राज्यसभा की सीट जेएमएम को मिल रही है। पहले 2020 में शिबू सोरेन राज्यसभा गए और फिर 2022 में महुआ मांझी को हेमंत सोरेने ने राज्यसभा भेजा। इस बार कांग्रेस के धीरज साहू तीन मई को रिटायर हो रहे हैं।

उनकी सीट पर कांग्रेस का दावा है लेकिन पिछले दिनों जब हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी के लिए सरफराज अहमद का इस्तीफा करा कर विधानसभा सीट खाली कराई तो उन्होंने सरफराज अहमद को राज्यसभा सीट का वादा किया था। कहा जा रहा था कि कांग्रेस के किसी नेता के लिए वे सीट नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अभिषेक सिंघवी के लिए सीट छोड़ सकते हैं। ध्यान रहे सिंघवी उनके वकील हैं और जितने मुकदमों में हेमंत सोरेन फंसे हैं उनमें से निकलने के लिए उनको कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी दोनों की जरुरत है। तभी कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस अपने किसी दूसरे नेता की बजाय सिंघवी का नाम आगे करे तो हेमंत सोरेन उनके नाम पर सहमति दे देंगे।

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