ऐसा नहीं है कि केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस के नेता हैं। कई प्रादेशिक पार्टियों के ऊपर भी शिंकजा कसा हुआ है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले ही साल ईडी ने गिरफ्तार किया था और वे करीब पांच महीने जेल में रहे थे। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उन्होंने जमीन के बदले नौकरी के मामले में एफआईआर रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जो खारिज हो गई है। यानी उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई चलती रहेगी। इसी तरह चारा घोटाले में भी उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देवघर ट्रेजरी से पैसे की निकासी के मामले में उनको हुई सजा बढ़वाने के लिए सीबीआई हाई कोर्ट पहुंची और हाई कोर्ट ने उसकी याचिका स्वीकार कर ली है। सीबीआई ने कहा है कि लालू मुख्य आरोपी हैं और उनको बाकी आरोपियों से ज्यादा सजा मिलनी चाहिए।
सजा के कई बरसों बाद जिस तरह से सीबीआई सजा बढ़वाने हाई कोर्ट पहुंची है उससे भी प्रादेशिक पार्टियों की चिंता बढ़ी है। सबसे ज्यादा चिंता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को है। उनके यहां अगले साल विधानसभा का चुनाव होने वाला है। अभी तक उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, उनकी पत्नी रूजिरा बनर्जी और परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ सिर्फ जांच हुई है, छापे पड़े हैं और पूछताछ हुई है। किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। अब इसकी आशंका बढ़ी है। उधर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। राज्य की भाजपा सरकार ने दो पूर्व मंत्रियों सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ भ्रष्टाचार के तीन नए मुकदमे दर्ज करने का आदेश दिया है। अस्पताल निर्माण से लेकर सीसीटीवी खरीद और शेल्टर होम घोटाले में मुकदमा दर्ज हुआ है। सत्येंद्र जैन तो पहले जेल जा चुके हैं लेकिन भारद्वाज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।