यह लाख टके का सवाल है कि तमिल फिल्मों के सुपर स्टार विजय क्या तमिल राजनीति का पिछले तीन दशक का जिंक्स तोड़ पाएंगे? असल में पिछले कई दशकों से यह धारणा बन गई है कि कोई फिल्मी सितारा तमिलनाडु की राजनीति में सफल नहीं हो सकता है। एमजीआर सबसे सफल अभिनेता और सफल राजनेता रहे और उनके बाद उनकी जगह जयललिता ने ली। एमजीआर और जयललिता के बाद कोई सितारा राजनीति में नहीं चमका। करुणानिधि भी फिल्मों से जुड़े रहे थे लेकिन वे सुपर स्टार नहीं थे। विजय सुपर स्टार हैं और टीवीके नाम से पार्टी बना कर राजनीति में उतरे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी की दूसरी सालगिरह मनाई तो धूमधाम से कार्यक्रम किया।
वे एमजीआर या जयललिता की तरह बनना चाह रहे हैं। लेकिन उनके सामने उनसे बड़े सितारों की विफलता का इतिहास है। रजनीकांत ने राजनीति में कदम रखा, पार्टी बनाने का ऐलान किया और उसके बाद पीछे हट गए। ऐसे ही एक दूसरे बड़े सितारे कमल हासन ने पार्टी बनाई, चुनाव लड़े और बुरी तरह से पिट गए। इन दोनों से पहले शिवाजी गणेशन जैसे सुपर स्टार ने भी राजनीति में किस्मत आजमाई और विफल रहे। एक और मशहूर सितारे कैप्टेन विजयकांत ने पार्टी बना कर चुनाव लड़ा लेकिन वे भी कामयाब नहीं हुए। एक समय उनकी पार्टी ने विधानसभा की 27 सीटें जीती थी लेकिन वही पीक साबित हुआ। उसके बाद उनकी स्थिति कमजोर होती गई। अब विजय इस जिंक्स को तोड़ने उतरे हैं। उनको अगले साल के चुनाव में मुख्यमंत्री बनना है। वे अपने फैन्स के आधार के साथ साथ सामाजिक समीकरण और द्रविड राजनीति के बुनियादी मुद्दों को भी पकड़े हुए हैं। जाने माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर अगले साल के चुनाव में उनकी मदद करेंगे। विजय एक रणनीति के तहत भाजपा पर हमला कर रहे हैं लेकिन अन्ना डीएमके पर चुप्पी साधे हुए हैं।