उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। लोकसभा चुनाव में बहुत खराब प्रदर्शन के बाद अब राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपने स्वजातीय लोगों पर मेहरबानी का बड़ा मुद्दा बना है। भाजपा की विरोधी पार्टियां तो यह मुद्दा उठा ही रही हैं, पार्टी के अंदर भी लोग इसे लेकर मुखर होने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों से इस पर ज्यादा फोकस बना है। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी इसे लेकर बहुत मुखर है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद कई नियुक्तियों के बारे में विस्तार से सोशल मीडिया में लिखा। उन्होंने राजपूत बनाम पीडीए का अंतर दिखाया है।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में पीडीए यानी पिछड़ी, दलित और अल्पसंख्यक का समीकरण बनाया है। इसका लाभ उनको लोकसभा चुनाव में मिली। समाजवादी पार्टी राज्य में सबसे ज्यादा सीटों पर जीती। तभी अखिलेश यादव ने ठाकुर बनाम पीडीए का माहौल बनाया है। अखिलेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि लखीमपुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में 27 नियुक्तियां हुईं, जिनमें से 15 ठाकुर यानी राजपूत समाज के हैं और पीडीए के सिर्फ आठ हैं। इसी तरह उन्होंने लिखा कि उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स में 22 लोगों में 11 राजपूत हैं। उन्होंने बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और गोरखपुर पुलिस फोर्स का भी हवाला दिया। अखिलश यादव ने कहा कि नियुक्तियों में 90 फीसदी पीडीए की घनघोर अनदेखी हो रही है। मुख्यमंत्री के अपनी जाति के लोगों से अतिशय प्रेम का मुद्दा नीचे तक जा रहा है। नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद भी लखीमपुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की नियुक्तियों का मुद्दा बना रहे हैं।