बिहार विधानसभा का चुनाव इस बार कम चरणों का हो सकता है। पिछली बार विधानसभा चुनाव तीन चरण में हुए थे। पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान 28 अक्टूबर 2020 को हुआ था। दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 और तीसरे चरण में सात नवंबर को बची हुई 78 सीटों पर मतदान हुआ था और 10 नवंबर को नतीजे आए थे। इस बार कहा जा रहा है कि मतदान दो चरणों में हो सकता है। भाजपा के एक जानकार नेता ने यह संकेत भी दिया अगर एक चरण में चुनाव हो जाए तब भी ज्यादा हैरानी की बात नहीं होगी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि महाराष्ट्र में 288 सीटें हैं और वहां भी गढ़चिरौली जैसे कुछ इलाके हैं, जो नक्सल प्रभावित हैं फिर भी चुनाव एक चरण में हो गया था। महाराष्ट्र के साथ साथ हरियाणा का चुनाव भी हुआ था। बिहार का चुनाव अकेले है और कुल 243 सीटें हैं। इसलिए एक चरण में चुनाव हो सकता है।
दूसरी ओर भाजपा और जदयू के कुछ नेता इसको लेकर आशंकित हैं। वे पिछले चुनाव का हवाला दे रहे हैं, जब पहले चरण में एनडीए बुरी तरह से पिछड़ा था। तभी बाद के दो चरणों में रणनीति बदली गई, चिराग पासवान पर दबाव बनाया गया और तब किसी तरह एनडीए बहुमत तक पहुंच पाया। अगर उस बार एक चरण में चुनाव होता तो एनडीए की बड़ी हार तय थी। इस वजह से एक खेमा अब भी तीन चरण में मतदान कराने का हामी है। बहरहाल, एक या दो चरण में चुनाव कराने की पैरवी कर रहे नेताओं का कहना है कि विपक्ष को ज्यादा समय नहीं देना है। एनडीए के ज्यादातर बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे और प्रचार के लिए बहुत सारे राष्ट्रीय नेता हैं। उधर विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर नेता चुनाव लड़ने वाले हैं और सबकी लड़ाई तगड़ी होने वाली है। तभी अगर एक या दो चरण में चुनाव होंगे तो उनको प्रचार का समय नहीं मिलेगा। वे अपने चुनाव क्षेत्र में उलझेंगे, जिसके एनडीए का काम आसान हो जाएगा। यह भाजपा और जदयू की सोच है, जबकि मतदान की तारीखें चुनाव आयोग को तय करना है।